दरस तेरे की प्यास मन लागी लिरिक्स Daras Tere Ki Piyaas Man Laagi Lyrics Shabad by Bhai Anantvir Singh Ji USA
दरस तेरे की पिआस (प्यास) मनि (मन ) लागी,
Darash Tere Ki Pyas Mani Laagi,
(ਦਰਸ ਤੇਰੇ ਕੀ ਪਿਆਸ ਮਨਿ ਲਾਗੀ)
दरस तेरे की प्यास मन लागी,
Darash Tere Ki Pyas Man Laagi.
Darash Tere Ki Pyas Man Laagi.
हे वाहेगुरु जी, हे ईश्वर मेरे मन में तेरे दर्शन की प्यास जाग्रत हो चुकी है। भाव है की जीवात्मा ने अपने मालिक को पहचान कर उसी में समा जाने को आतुर है।
दरस तेरे की : आपके दर्शन की।
पिआस (प्यास) : प्यास, चाह, लगन।
मनि लागी- मन में लगन लगना, हृदय से प्राप्त करने का भाव।
सहज अनंद बसै बैरागी,
Sahaj Aannad Base Bairaagi,
(ਸਹਜ ਅਨੰਦ ਬਸੈ ਬੈਰਾਗੀ)
Sahaj Aannad Base Bairaagi,
(ਸਹਜ ਅਨੰਦ ਬਸੈ ਬੈਰਾਗੀ)
हे वाहेगुरु जी, आपके प्रेम में मैं भीगकर सहज आनंद और वैराग्य को प्राप्त करता हूँमेरा मन सहज आनंद और वैराग्य में बसता है। पूर्ण को प्राप्त होने पर सहज आनंद और वैराग्य की प्राप्ति सहजता से हो जाती है।
चरन कमल की आस पिआरे,
Charan Kamal Ki Aas Pyare,
( ਚਰਨ ਕਮਲ ਕੀ ਆਸ ਪਿਆਰੇ ),
Charan Kamal Ki Aas Pyare,
( ਚਰਨ ਕਮਲ ਕੀ ਆਸ ਪਿਆਰੇ ),
हे नाथ मुझे आपके चरण कमल की आशा है, मुझे अपने चरणों में स्थान दीजिए।
जमकंकर नसि गए विचारे,
Jamakankkar Nasi Gae Vichaare,
ਜਮਕੰਕਰ ਨਸਿ ਗਏ ਵਿਚਾਰੇ,
Jamakankkar Nasi Gae Vichaare,
ਜਮਕੰਕਰ ਨਸਿ ਗਏ ਵਿਚਾਰੇ,
यमदूत मेरे पास से भाग गए हैं। भाव है की मुझे काल का भय नहीं रहा है यह पूर्णता में समां जाने का भाव है। काल का भय तभी तक ही रहता है जब तक साधक गुरु के चरणों से विमुख रहता है।
दरस तेरे की प्यास मन लागी,
Darash Tere Ki Pyas Man Laagi.
(ਦਰਸ ਤੇਰੇ ਕੀ ਪਿਆਸ ਮਨਿ ਲਾਗੀ)
हे वाहेगुरु जी, हे ईश्वर मेरे मन में तेरे दर्शन की प्यास जाग्रत हो चुकी है। भाव है की जीवात्मा ने अपने मालिक को पहचान कर उसी में समा जाने को आतुर है।
तू चिति आवहि तेरी मइआ,
Tu Chitti Avahi Teri Maiya,
(ਤੂ ਚਿਤਿ ਆਵਹਿ ਤੇਰੀ ਮਇਆ ),
Tu Chitti Avahi Teri Maiya,
(ਤੂ ਚਿਤਿ ਆਵਹਿ ਤੇਰੀ ਮਇਆ ),
हे मालिक आप ही मेरे चित्त में हो और यह आपकी कृपा ही है। वस्तुतः जीव ईश्वर की शरण में जाना भी चाहे तो बगैर गुरु के इजाज़त के यह सम्भव नहीं है।
सिमरत नाम सगल रोग खइआ,
Simrat Naam Sagal Rog Khaiya,
Simrat Naam Sagal Rog Khaiya,
आपके नाम के सुमिरण मात्र से ही समस्त रोग दुःख क्लेश नष्ट हो गए हैं।
दरस तेरे की प्यास मन लागी,
Darash Tere Ki Pyas Man Laagi.
(ਦਰਸ ਤੇਰੇ ਕੀ ਪਿਆਸ ਮਨਿ ਲਾਗੀ)
हे वाहेगुरु जी, हे ईश्वर मेरे मन में तेरे दर्शन की प्यास जाग्रत हो चुकी है। भाव है की जीवात्मा ने अपने मालिक को पहचान कर उसी में समा जाने को आतुर है।
अनिक दूख देवहि अवरा कउ
Anik Dukh Devahi Avar Kau,
(ਅਨਿਕ ਦੂਖ ਦੇਵਹਿ ਅਵਰਾ ਕਉ)
Anik Dukh Devahi Avar Kau,
(ਅਨਿਕ ਦੂਖ ਦੇਵਹਿ ਅਵਰਾ ਕਉ)
हे प्रभु अन्य लोगों को अनेकों दुःख कष्ट रहते हैं।
पहुचि न साकहि जन तेरे कउ
Pahuchi Na Sakahi Jan Tere Kau,
ਪਰ ਸੇਵਕ ਦੇ ਇਹ ਨੇੜੇ ਭੀ ਨਹੀਂ ਢੁੱਕ ਸਕਦੇ
Pahuchi Na Sakahi Jan Tere Kau,
ਪਰ ਸੇਵਕ ਦੇ ਇਹ ਨੇੜੇ ਭੀ ਨਹੀਂ ਢੁੱਕ ਸਕਦੇ
आपके भक्त तक दुःख और संताप पहुँच नहीं सकते हैं।
दरस तेरे की प्यास मन लागी,
Darash Tere Ki Pyas Man Laagi.
(ਦਰਸ ਤੇਰੇ ਕੀ ਪਿਆਸ ਮਨਿ ਲਾਗੀ)
हे वाहेगुरु जी, हे ईश्वर मेरे मन में तेरे दर्शन की प्यास जाग्रत हो चुकी है। भाव है की जीवात्मा ने अपने मालिक को पहचान कर उसी में समा जाने को आतुर है।
नानक की अरदासि सुणीजै,
Naanak Ki Ardaasi Sunije,
(ਨਾਨਕ ਕੀ ਅਰਦਾਸਿ ਸੁਣੀਜੈ)
Naanak Ki Ardaasi Sunije,
(ਨਾਨਕ ਕੀ ਅਰਦਾਸਿ ਸੁਣੀਜੈ)
ने परम परमेश्वर नानक देव जी मेरी अरदास सुन लीजिए।
केवल नामु रिदे महि दीजै,
Keval Naamu Ride Mahi Dije,
ਕੇਵਲ ਨਾਮੁ ਰਿਦੇ ਮਹਿ ਦੀਜੈ
Keval Naamu Ride Mahi Dije,
ਕੇਵਲ ਨਾਮੁ ਰਿਦੇ ਮਹਿ ਦੀਜੈ
केवल आप अपना नाम मेरे हृदय में समां दीजिए।
दरस तेरे की पिआस मनि लागी,
Darash Tere Ki Pyas Mani Laagi,
(ਦਰਸ ਤੇਰੇ ਕੀ ਪਿਆਸ ਮਨਿ ਲਾਗੀ)
Darash Tere Ki Pyas Mani Laagi,
(ਦਰਸ ਤੇਰੇ ਕੀ ਪਿਆਸ ਮਨਿ ਲਾਗੀ)
हे वाहेगुरु जी, हे ईश्वर मेरे मन में तेरे दर्शन की प्यास जाग्रत हो चुकी है। भाव है की जीवात्मा ने अपने मालिक को पहचान कर उसी में समा जाने को आतुर है।
सहज अनंद बसै बैरागी,
Sahaj Aannad Base Bairaagi,
(ਸਹਜ ਅਨੰਦ ਬਸੈ ਬੈਰਾਗੀ)
हे वाहेगुरु जी, आपके प्रेम में मैं भीगकर सहज आनंद और वैराग्य को प्राप्त करता हूँ
Sahaj Aannad Base Bairaagi,
(ਸਹਜ ਅਨੰਦ ਬਸੈ ਬੈਰਾਗੀ)
हे वाहेगुरु जी, आपके प्रेम में मैं भीगकर सहज आनंद और वैराग्य को प्राप्त करता हूँ
मेरा मन सहज आनंद और वैराग्य में बसता है। पूर्ण को प्राप्त होने पर सहज आनंद और वैराग्य की प्राप्ति सहजता से हो जाती है।
दरस तेरे की प्यास मन लागी,
Darash Tere Ki Pyas Man Laagi.
(ਦਰਸ ਤੇਰੇ ਕੀ ਪਿਆਸ ਮਨਿ ਲਾਗੀ)
Darash Tere Ki Pyas Man Laagi.
(ਦਰਸ ਤੇਰੇ ਕੀ ਪਿਆਸ ਮਨਿ ਲਾਗੀ)
हे वाहेगुरु जी, हे ईश्वर मेरे मन में तेरे दर्शन की प्यास जाग्रत हो चुकी है। भाव है की जीवात्मा ने अपने मालिक को पहचान कर उसी में समा जाने को आतुर है।