आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की लिरिक्स Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics

आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की लिरिक्स Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics,

श्री कुंज बिहारी भगवान कृष्ण के कई नामों में से एक प्रसिद्द नाम है। श्री कृष्ण का यहाँ नाम जहां बिहारी शब्द कृष्ण को दर्शाता है (विहार करने वाले) और कुंज वृंदावन का प्रतिनिधित्व करता है, जहां श्री कृष्ण बड़े हुए और उन्होंने अपनी पूरी जवानी बिताई। कुञ्ज से आशय है की फूल पत्तियों से घिरी हुई गलिया, सुंदर गली। वृन्दावन की गलियों को ही कुञ्ज कहा जाता है। अतः शाब्दिक रूप से जो वृन्दावन की गलियों में रमण करता है वह है कुञ्ज बिहारी (श्री कृष्ण). इसके अतिरिक्त श्री कृष्ण को “बांके बिहारी” भी कहते हैं। बांके बिहारी शब्द की उत्पत्ति तब हुई जब श्री कृष्णा यमुना नदी के तट पर वृंदावन, गहर वन, राम घाट, श्याम घाट, ठकुरानी घाट, विश्राम घाट जाता है जब वह “नंदा-यशोदा” के साथ गोकुल में रहा करते थे। यह शब्द बृज भाषा का है। मैथिली, अवधी, भोजपुरी, मगधी, प्राकृत, पाली जैसी कुछ भाषाओं में लोग “वी” के स्थान पर “बी” का उच्चारण करते हैं।
“बांके बिहारी” मूल रूप से “वन के विहारी” का अर्थ है. श्री कृष्ण की मुड़ी हुई प्रतिमा के कारण ही उनको बांके बिहारी का नाम दिया गया है।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै; बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा; बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू; हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद,
टेर सुन दीन भिखारी की॥ श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥