आरती प्रियाकांत जू की सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की लिरिक्स Aarti Priyakant Ju Ki Lyrics

आरती प्रियाकांत जू की सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की लिरिक्स Aarti Priyakant Ju Ki Lyrics, Aarti Krishna Bhajan by Shri Devkinandan Thakur ji maharaj

आरती प्रियाकांत जू की,
सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की।
आरती प्रियाकांत जू की,
सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की। 



जगत में कीर्तिमयी माला,
सुखी सुन सूजन गोपी ग्वाला,
करो मत देर, दास रहे टेर,
प्रभाकर मृतक भाव हूँ की,
सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की।
आरती प्रियाकांत जू की,
सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की।

दरस ते बुझै द्रोह ज्वाला,
जपे जन जुगल नाम माला,
सखी सब संग, बन्ध भव भंग,
दयानिधि नंद लाल हूँ की,
सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की।
आरती प्रियाकांत जू की,
सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की।

मनोहर यमुना सुचि रेणु,
वंशीवट बजत सौम्य वेणु,
भृंग पिक वृन्द , ध्वनि अति मंद,
सुधाकर भक्ति ज्ञान हूँ की,
सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की।
आरती प्रियाकांत जू की,
सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की।

प्रभामय धाम शान्ति सेवा,
भगत जन तरस रहे देवा,
युगल छवि देख , मिटे दुःख रेख,
भयापहः नेत्र दांत हू की,
सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की,
आरती प्रियाकांत जू की,
सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की।

कमल मह राजत युग शोभा,
निम्ब प्रभु हनुमत गण देवा,
रहे सुख पाये , चरण चित लाय,
देवकी नंद कांत हू की,
सुखाकर भक्त वृन्द हू की,
आरती प्रियाकांत जु की,
सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की।
आरती प्रियाकांत जू की,
सुखाकर भक्त वृन्द हूँ की।

भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)