कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं जैन भजन लिरिक्स Kabhi Pyase Ko Paani Pilaya Nahi Bhajan Lyrics

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं जैन भजन लिरिक्स Kabhi Pyase Ko Paani Pilaya Nahi Bhajan Lyrics, Jain Bhajan by Singer:Gyanendra Sharma

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं जैन भजन Kabhi Pyase Ko Paani Pilaya Nahi Bhajan Jain Bhajan
 व्यक्ति को सुन्दर सन्देश देता हुआ यह जैन भजन श्री ज्ञानेन्द्रा जी शर्मा के द्वारा अत्यंत ही सुन्दर तरीके से गाया गया है। इस भजन में साधक के दोहरे व्यवहार पर व्यंग्य किया गया है और उसे सत्य की राह पर चलने का सन्देश दिया गया है। दान पुण्य को लेकर सन्देश है की कभी तुमने प्यासे को पानी नहीं पिलाया अब जब उसकी मृत्यु हो चुकी है तो उसे अमृत पिलाने का क्या फायदा होने वाला है।
पूजा अर्चना अपना महत्त्व रखती हैं लेकिन मंदिर जाकर पूजा आरती करने के बाद भी यदि माँ बाप की बुढ़ापे में सेवा नहीं की तो ऐसी पूजा का क्या लाभ ?
उपाश्रय जाकर गुरुदेव की वाणी जरूर सुनी लेकिन उसे व्यवहार में नहीं उतारा, अपने माँ बाप की कभी इज्जत नहीं की तो ऐसे में गुरुवाणी की काम की है। दान पुण्य का भी तभी महत्त्व होता है जब हम स्वंय को नहीं सुधारेंगे तो दान का कोई महत्त्व नहीं रह जाता है।
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं,
बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा,
कभी गिरते हुए को उठाया नहीं,
बाद आसु बहाने से क्या फायदा।

मैं मंदिर गया पूजा आरती की,
पूजा करते हुए एक ख़याल आ गया,
कभी माँ बाप की सेवा की ही नहीं,
फिर पूजा करने से क्या फायदा।

में उपाश्रय गया गुरुवाणी सुनी,
गुरुवाणी को सुनते हुए एक खयाल आ गया,
माँ बाप की इज्जत की ही नहीं,
बाद आसु बहाने से क्या फायदा।

मैंने दान किया, मैंने तपजप किया,
दान करते हुए एक ख़याल आ गया,
कभी मुख को  भोजन कराया नहीं,
दान लाखों का करदु तो क्या फायदा।