कैसी आरती होई भव खंडना तेरी आरती लिरिक्स Kaisi Aarti Hoi Bhav Khandana Lyrics

कैसी आरती होई भव खंडना तेरी आरती लिरिक्स Kaisi Aarti Hoi Bhav Khandana Lyrics
Shabad – Kaisi Aarti Hoye

कैसी आरती, कैसी आरती,
गगन में थालु रवि चंदु दीपक,
बने तारिका मण्डल जनक मोती,
धूपमल आनलो पवणु चवरो,
करे सगल बनराय फूलंत जोति।
कैसी आरती, कैसी आरती।

कैसी आरती होये,
भव खंडना तेरी, आरती,
अनहता सबद बाजंत भेरी,
कैसी आरती होवे।

सहस तव नैन नन नैन है ‍तोहि को,
सहस मू‍रती मना एक तोही,
सहस पद विमल रंग एक पद गंध बिनु,
सहस तव गंध इव चलत मोहि,
सहस तव गंध इव चलत मोहि,
कैसी आरती होवे।

सभमह जोति जो‍ति है सोई,
तिसकै चानणि सभ महि चानण होई,
गुरसाखी जोति परकट होय,
जो तिसु भावै सु आरती होय,
कैसी आरती होवे।

हर‍ि चरण कमल मकरंद लोभित मनो,
अ‍नदिनी मोहि आहि पिआसा।
कृपा जलु देहि नानक सारंग को,
होये जाते तेरे नाम वासा,
कैसी आरती होवे।