कोई भाग बिना नहीं पावे जी भली वस्तु का जोग लिरिक्स Koi Bhag Bina Nahi Pave Ji Lyrics Meaning

कोई भाग बिना नहीं पावे जी भली वस्तु का जोग लिरिक्स Koi Bhag Bina Nahi Pave Ji Lyrics Rajasthani Bhajan by गोपाल दास वैष्णव

देह थका करिये शुभ कारज,
फिर ये देह मिले ना मिले,
नेत्र थका करिये शुभ दर्शन,
फिर ये नेत्र खुले ना खुले,
पाँव थका करिये चार धाम,
फिर ये पाँव चले ना चले,
जीभ थका गुण गाइये,
जीव फिर ये जीभ हिले ना हिले,
राम भजन कर बावळा,
थारा सर पर बैठ्यो काळ,
उमर सारी बीत गई,
तू थोड़ो पाछे नाळ,
अठे नहीं तेरा ठिकाना,
जिस तन का तू लाड लडाए,
हो जाएगा मसाणा।
पड़ा रह ज्यासी थारा धन माल,
बेटा पोता गुण गावसी,
म्हारो दादो करग्यो निहाल।

कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का जोग,
दाखां पाके बाग़ में,
जद काका कंठा रोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का जोग।

मृत्यु लोग में घूम रहे थे,
शिव जी गोरा साथे,
भील भीलण ने आता देख्या,
कोई मोळी लेके माथे,
लारे टाबरिया कुरलावे जी,
नहीं रोटी का जोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का जोग।

बदन पर कपडा नहीं,
पैदल पगा उबाणा,
दुख से काया दुर्बल होगी,
नहीं रहबा को ठिकाणा,
अरे गोरा शिव जी ने फरमावे जी,
आछ्या मिल्या संजोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का जोग।

रास्ते में रख दी शिव जी,
सो मोहरां की थैली,
भीलण कहवे आख्या मीच तो,
चालो गेली गेली,
मोहरा एक तरफ रह जावे जी,
नहीं मिलण का जोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का जोग।

शिव जी कहवे चालो गौरा,
इनकी किस्मत फूटी,
में तो जदी चालूंगा शिव जी,
आने देवे मु मांगण री छूटी,
म्हारी काया सफल वे जावे जी ,
आच्छया मिल्या संजोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का जोग।

भीलण केवे सुनो बावजी,
में बन जाऊ राजा की राणी,
भील भीलण में झगड़ो होग्यो,
होगी खेचा तानी,
भीलण राणी बन कर जावे जी,
रोतो रहीज्ये म्हारा लोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का जोग।

भील कहवे सुणो बावजी,
मारी भी सुण लीज्यो,
या भीलण राणी बनगी,
इने गंडकड़ी कर दीज्यो।
अरे या बस्ती रे जावे जी ,
होवे हिड़क्या वाळो रोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का जोग। 

कोई भाग बिना नहीं पावे जी भली वस्तु का जोग राजस्थानी भजन मीनिंग हिंदी Koi Bhag Bina Nahi Pave Ji Lyrics Rajasthani Bhajan Meaning In Hindi

देह थका करिये शुभ कारज, फिर ये देह मिले ना मिले : यह तन दुबारा से मिलेगा या नहीं मिलेगा इसका कोई भरोसा नहीं है इसलिए इसके रहते हुए (थका) शुभ कार्य कर लो।
नेत्र थका करिये शुभ दर्शन,  फिर ये नेत्र खुले ना खुले : नेत्रों के रहते हुए हरी का दर्शन लाभ ले लो एक रोज ये पुनः खुले या नहीं खुलें।
पाँव थका करिये चार थाम, फिर ये पाँव चले ना चले : पांवों के रहते हुए चलकर चारों धाम की यात्रा कर लो, बुढ़ापे में ये पाँव नहीं चलने वाले हैं।
जीभ थका गुण गाइये, जीव फिर ये जीभ हिले ना हिले : जिव्हा के रहते हुए ईश्वर के नाम की महिमा का गुणगान कर लो, फिर कभी ये जीभ हिले या नहीं हिले।
राम भजन कर बावळा,  थारा सर पर बैठ्यो काळ : राम का भजन कर पागल, तेरे सर पर यमराज बैठा है।
उमर सारी बीत गई, तू थोड़ो पाछे नाळ : माया में तुम्हारी उम्र पूरी हो जायेगी तुम थोड़ा पीछे मुड़कर देखो।
अठे नहीं तेरा ठिकाना : जगत में तुम्हारा कोई ठिकाना नहीं है। अठे -यहाँ।
जिस तन का तू लाड लडाए, हो जाएगा मसाणा : जिस तन पर तुझे गर्व है जिसका तू लाड करता है वह एक रोज शमशान के हवाले होने वाला है।
पड़ा रह ज्यासी थारा धन माल : तेरी समस्त सम्पति यहीं पर रह जानी है।
बेटा पोता गुण गावसी, म्हारो दादो करग्यो निहाल : बेटे और पोते तेरे धन पर मजे करेंगे और कहेंगे की दादा निहाल कर गया।
कोई भाग बिना नहीं पावे जी, भली वस्तु का जोग बिना भाग के, भाग्य के कोई भी कुछ प्राप्त नहीं कर सकता है।
दाखां पाके बाग़ में, जद काका कंठा रोग : जब द्राक्षा (दाख-अंगूर) पकते हैं तो संयोग से कौवे के गले का रोग हो जाता है और वह अंगूरों को खा नहीं पाता है, क्योंकि उसकी किस्मत में अंगूर नहीं लिखे होते हैं।