गुरु मोहे अपना रूप दिखाओ लिरिक्स Guru Mohe Apna Roop Dikhaao Lyrics

गुरु मोहे अपना रूप दिखाओ लिरिक्स Guru Mohe Apna Roop Dikhaao Lyrics, Radha Swami Ji Guru Bhajan.

गुरु मोहे अपना रूप दिखाओ,
गुरु मोहे अपना रूप दिखाओं।

यह तो रूप धरा तुम सरगुन,
जीव उबार कराओ,
रूप तुम्हारा अगम अपारा,
सोइ अब दर्शाओ,
गुरु मोहे अपना रूप दिखाओ,
गुरु मोहे अपना रूप दिखाओं।

देखूं रूप मगन होये बैठूँ,  
अभय दान दिलवाओ,
यह भी रूप प्यारा मोको,
इस ही से उसको समझाओ,
गुरु मोहे अपना रूप दिखाओ,
गुरु मोहे अपना रूप दिखाओं।

बिन इस रूप काज नहीं होइ,
कियो कर वही लखवाओ,
ता ते महिमा भरी इसकी,
पर वह भी लखवाओ,
गुरु मोहे अपना रूप दिखाओ,
गुरु मोहे अपना रूप दिखाओं।

वह तो रूप सदा तुम धारो,
या ते जीव जगाओं,
यह भी भेद सुना में तुमसे,
सूरत शबद मारग नित गाओ,
गुरु मोहे अपना रूप दिखाओ,
गुरु मोहे अपना रूप दिखाओं।

शबद रूप जो रूप तुम्हारा,
वा में भी अब सूरत पठाओ,
डरता रहूं मौत और दुःख से,
निर्भय कर अब मोहे छुड़ाओ,
गुरु मोहे अपना रूप दिखाओ,
गुरु मोहे अपना रूप दिखाओं।

दिन दयाल जीव हितकारी,
राधा स्वामी काज  बनाओ,
दिन दयाल जीव हितकारी,
राधा स्वामी काज बनाओ,
गुरु मोहे अपना रूप दिखाओ,
गुरु मोहे अपना रूप दिखाओं। 

गुरु मोहे अपना रूप दिखाओ मीनिंग Guru Mohe Apna Roop Dikhaao Meaning Hindi Radha Swami Ji Guru Bhajan.

गुरु मोहे अपना रूप दिखाओ- हे गुरु देव मुझे अपना रूप दिखाओ। अपने वास्तविक रूप से मुझे परिचित करवाओ।
यह तो रूप धरा तुम सरगुन- आपने मनुष्य रूप में जन्म लेकर सगुण रूप धारण किया है।
जीव उबार कराओ- आपने सगुण रूप धारण करके मनुष्य रूप में आकर जीवों को उबारा है। उबारने से भाव भव सागर से पार करवाने से है। ईश्वर की कृपा के बगैर जीवात्मा जन्म मरण के लगातार चलने वाले चक्र में फँसी रहती है। लख चौरासी में वह गोते  लगाती रहती है लेकिन मुक्ति को प्राप्त नहीं हो पाती है।
रूप तुम्हारा अगम अपारा- आपका रूप अगम और अपार है।
सोइ अब दर्शाओ- वही रूप अब हमें दिखाओ।
देखूं रूप मगन होये बैठूँ- आपके रूप को मैं बैठ कर मग्न हो कर देखूं।
अभय दान दिलवाओ- आवागमन से मुक्ति दिलवाओ।
यह भी रूप प्यारा मोको- आपका यह रूप मुझे प्यारा है।
बिन इस रूप काज नहीं होइ- आपके रूप के बिना कोई कार्य सिद्ध नहीं होंगे।
कियो कर वही लखवाओ- अपने प्रभाव से परिचित करवाओ।
वह तो रूप सदा तुम धारो- आप ऐसा रूप धारण करो जिससे।
या ते जीव जगाओं-यह सोया हुआ जीव जाग जाए।
यह भी भेद सुना में तुमसे-मैंने आपसे ही भेद पाया है।
सूरत शबद मारग नित गाओ- आपकी सूरत शब्द का मार्ग नित्य गाने योग्य है।
दिन दयाल जीव हितकारी- आप दीनों के नाथ हैं, दयालु हैं।
राधा स्वामी काज  बनाओ- हे भगवन मेरे कार्यों को सिद्ध करो, पूर्ण करो।