जो भी सागर में उतरे उन्हें मोती मिले लिरिक्स Jo Bhi Sagar Me Utare Lyrics

जो भी सागर में उतरे उन्हें मोती मिले लिरिक्स Jo Bhi Sagar Me Utare Lyrics, Khatu Shyam Ji Bhajan by Singer Name: S.Harmahinder Singh

जो भी सागर में उतरे,
उन्हें मोती मिले,
जिसने ढूँढा मुझे,
वो मुझे पा गया,
ढोंगी चालाक जग में,
भटकते रहे,
मुझको शबरी का वो,
भोलापन भा गया,
जो भी सागर में उतरे,
उन्हें मोती मिले।

तुमने मूरत कहा,
मैं भी मूरत बना,
तुमने पत्थर कहा,
मैं भी पत्थर बना,
उसी पत्थर में,
धन्ना ने ढूँढा मुझे,
उसने जब भी बुलाया,
मैं झट आ गया,

ढोंगी चालाक जग में,
भटकते रहे,
मुझको शबरी का वो,
भोलापन भा गया,
जो भी सागर में उतरे,
उन्हें मोती मिले।

प्रेम से तुमने बुलाया नहीं,
बिन बुलाए हुए मैं भी आया नहीं,
बिन बुलाए हुए मैं भी आया नहीं,
प्रेम से जब किसी ने,
बुलाया मुझे,
मैं तो विदुरानी के छिलते,
तक खा गया,
ढोंगी चालाक जग में,
भटकते रहे,
मुझको शबरी का वो,
भोलापन भा गया,
जो भी सागर में उतरे,
उन्हें मोती मिले।

प्यार के प्यार में,
प्यार की बात है,
मैंने पूछा नहीं तेरी,
क्या जात है,
हिन्दू मुस्लिम तो,
आपस में लड़ते रहे,
मुझको रसखान,
जूता तक पहना गया,
ढोंगी चालाक जग में,
भटकते रहे,
मुझको शबरी का वो,
भोलापन भा गया,
जो भी सागर में उतरे,
उन्हें मोती मिले।

मैं ही हिन्दू में हूँ,
मैं ही मुसल्मा में हूँ,
आब जमजम में हूँ,
मैं ही गंगा में हूँ,
आब जमजम में हूँ,
मैं ही गंगा में हूँ,
उसकी पूजा जगत में,
सफल हो गई,
प्रेम के भावों से जो भी,
नहला गया,
ढोंगी चालाक जग में,
भटकते रहे,
मुझको शबरी का वो,
भोलापन भा गया,
जो भी सागर में उतरे,
उन्हें मोती मिले।

जो भी सागर में उतरे,
उन्हें मोती मिले,
जिसने ढूँढा मुझे,
वो मुझे पा गया,
ढोंगी चालाक जग में,
भटकते रहे,
मुझको शबरी का वो,
भोलापन भा गया,
जो भी सागर में उतरे,
उन्हें मोती मिले।