नवरात्रा नौ दिन नौ आरतियाँ Nine Days Navratra Nine Artiyan Navratra Nine Days Arrti Collection
जय संतोषी माता
नमो नमो दुर्गे सुख करनी
दुर्गा चालिसा
भोर भई दिन चढ़ गया, मेरी अम्बे
हो रही जय जय कार मंदिर विच
आरती जय माँ
हे दरबारा वाली, आरती जय माँ
हे पहाड़ा वाली आरती जय माँ
काहे दी मैया तेरी आरती बनावा
काहे दी मैया तेरी आरती बनावा
काहे दी पावां विच बाती मंदिर विच
आरती जय माँ
सुहे चोलेयाँवाली आरती जय माँ
हे पहाड़ा वाली आरती जय माँ
सर्व सोने दी तेरी आरती बनावा
सर्व सोने दी तेरी आरती बनावा
अगर कपूर पावां बाती मंदिर विच
आरती जय माँ
हे माँ पिंडी रानी आरती जय माँ
हे पहाड़ा वाली आरती जय माँ
कौन सुहागन दिवा बालेया, मेरी मैया
कौन सुहागन दिवा बालेया, मेरी मैया
कौन जागेगा सारी रात मंदिर विच
आरती जय माँ
सच्चियाँ ज्योतां वाली आरती जय माँ
हे पहाड़ा वाली आरती जय माँ
सर्व सुहागिन दिवा बलिया मेरी मैया
सर्व सुहागिन दिवा बलिया मेरी मैया
ज्योत जागेगी सारी रात मंदिर विच
आरती जय माँ
हे माँ त्रिकुटा रानी आरती जय माँ
हे पहाड़ा वाली आरती जय माँ
जुग जुग जीवे तेरा जम्मुए दा राजा
जुग जुग जीवे तेरा जम्मुए दा राजा
जिस तेरा भवन बनाया
मंदिर विच आरती जय माँ
हे मेरी अम्बे रानी आरती जय माँ
हे पहाड़ा वाली आरती जय माँ
सिमर चरण तेरा ध्यानु यश गावे
जो ध्यावे सो, यो फल पावे
रख बाणे दी लाज मंदिर विच
आरती जय माँ
सोहनेया मंदिरां वाली आरती जय माँ
हे पहाड़ा वाली आरती जय माँ
भोर भई दिन चढ़ गया, मेरी अम्बे
भोर भई दिन चढ़ गया, मेरी अम्बे
हो रही जय जय कार मंदिर विच
आरती जय माँ
हे दरबारा वाली, आरती जय माँ
हे पहाड़ा वाली आरती जय माँ
1 अक्टूबर, तृतीया – नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।
2 अक्टूबर, चतुर्थी – नवरात्रि के चौथे दिन मां के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा की जाती है।
3 अक्टूबर, पंचमी – नवरात्रि के 5वें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है।
4 अक्टूबर, षष्ठी – नवरात्रि के छठें दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है।
5 अक्टूबर, सप्तमी – नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि की पूजा होती है।
6 अक्टूबर, अष्टमी – नवरात्रि के आठवें दिन माता के भक्त महागौरी की अराधना करते हैं।
7 अक्टूबर, नवमी – नवरात्रि का नौवें दिन नवमी हवन करके नवरात्रि पारण किया जाता है।
8 अक्टूबर, दशमी – दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ॥
जय सन्तोषी माता
सुन्दर चीर सुनहरी मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो॥
जय सन्तोषी माता
गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी, त्रिभुवन जन मोहे॥
जय सन्तोषी माता
स्वर्ण सिंहासन बैठी चंवर दुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे॥
जय सन्तोषी माता
गुड़ अरु चना परम प्रिय तामें संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥
जय सन्तोषी माता
शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही।
भक्त मंडली छाई, कथा सुनत मोही॥
जय सन्तोषी माता
मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम सेवक, चरनन सिर नाई॥
जय सन्तोषी माता
भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे, इच्छित फल दीजै॥
जय सन्तोषी माता
दुखी दारिद्री रोगी संकट मुक्त किए।
बहु धन धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए॥
जय सन्तोषी माता.
ध्यान धरे जो तेरा वांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो॥
जय सन्तोषी माता
चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे॥
जय सन्तोषी माता
सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति, जी भर के पावे॥
जय सन्तोषी माता
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता॥
जय सन्तोषी माता
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहू लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी।।
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहूलोक में डंका बाजत।।
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन र जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु सब लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजे नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावे। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्ममरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। मोह मदादिक सब बिनशावें॥
शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला॥
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी। कहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी जय अम्बे गौरी
मांग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद कोमैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कंठ हार साजे जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति जय अम्बे गौरी
शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती जय अम्बे गौरी
चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे जय अम्बे गौरी
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरो मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू जय अम्बे गौरी
तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी मैया वर मुद्रा धारी
मन वांछित फल पावत देवता नर नारी जय अम्बे गौरी
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती बोलो जय अम्बे गौरी
मां अम्बे की आरती जो कोई नर गावे मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे जय अम्बे गौरी
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