भगवान शिव के नाम हिंदी अर्थ Shiv Naam Ke Hindi Arth
1. शिव:- भगवान शिव कल्याण स्वरूप हैं इसलिए इनको शिव कहा जाता है। जो परम ज्ञान से स्वंभू हो, कलयाणकारी हो वह शिव कहा जाता है।
सर्वाणिशिवनामानि मोक्षदान्येव सर्वदा।
तेष्वप्युत्तमं नाम शिवेति ब्रह्रासंज्ञितम्।।
शिवेति नाम विमलं येनोच्चारितमादरात्।
तेन भूयो न संसारसागर: समवाप्यते।।
“शिव नाम का ” शिव मन्त्र : ॐ शिवाय नमः
2. महेश्वर:- माया के अधिपति होने के कारण शिव को महेश्वर कहा जाता है।
महेश्वर नाम से शिव का मन्त्र : ॐ महेश्वराय नमः
3. शम्भू:- आनंद स्वरूप वाले शिव। भगवान शिव आनंद भोग और मोक्ष दोनों में होने के कारण शम्भू कहलाते हैं। शंभु नाम का मन्त्र : ॐ शंभवे नमः
4. पिनाकी:- भगवान शिव पिनाक धनुष को धारण करते हैं इसलिए इनको पिनाक कहते हैं। मन्त्र : – ॐ पिनाकिने नमः
5. शशिशेखर:- मस्तक पर चंद्रमा को धारण करने के कारण शिव को शशिशेखर कहा जाता है।
मतिमयोSखिलजीवसमष्टिरप्यमथि दक्षमखे हिमगुवृर्था।
इति धिया दयया विधृतस्त्वया शिरसि तेन भवान् शशिशेखर:।।
इस नाम का शिव मन्त्र : ॐ शशिशेखराय नमः Om Shashishekharaya Namah.
6. वामदेव:- अत्यंत सुंदर रूप को लिए हुए, सुंदर रूप वाले शिव। भगवान् शिव सभी को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करने वाले।
जडं हि गम्यतेSन्येन नाSजडं मुनि पुंगवा:।
शिवो नैव जड: साक्षात् स्वप्रकाशैकलक्षण:।।
इस नाम का शिव मन्त्र : ॐ वामदेवाय नमः Om Vamadevaya Namah
7. विरूपाक्ष:- विलक्षण नेत्रों वाले। शाब्दिक रूप से असुंदर आखों वाले।
विषमणि विवि्धशक्तीफीन्यक्षीणि विलक्षणानि वाक्षाणि।
हर! हेमकूटशैले लिंगे व्यक्तोSस्यतो विरूपाक्ष:।।
8. कपर्दी:- जटाजूट धारण करने वाले शिव। ‘कपर्द’ का अर्थ होता है ‘जटाजूट’ और इसी कारण से शिव को कपर्दी कहा जाता है।
जटाकटाह संभ्रमन् भ्रमन्निलिम्पनिर्झरि
विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद् धगद् धगद् ज्वलललाटपट्टपावके
किशोरचन्शेखरे रति: प्रतिक्षणं मम।।
कदर्पि नाम का शिव मन्त्र : ॐ कपर्दिने नमः Om Kapardine Namah
सर्वाणिशिवनामानि मोक्षदान्येव सर्वदा।
तेष्वप्युत्तमं नाम शिवेति ब्रह्रासंज्ञितम्।।
शिवेति नाम विमलं येनोच्चारितमादरात्।
तेन भूयो न संसारसागर: समवाप्यते।।
“शिव नाम का ” शिव मन्त्र : ॐ शिवाय नमः
2. महेश्वर:- माया के अधिपति होने के कारण शिव को महेश्वर कहा जाता है।
महेश्वर नाम से शिव का मन्त्र : ॐ महेश्वराय नमः
3. शम्भू:- आनंद स्वरूप वाले शिव। भगवान शिव आनंद भोग और मोक्ष दोनों में होने के कारण शम्भू कहलाते हैं। शंभु नाम का मन्त्र : ॐ शंभवे नमः
4. पिनाकी:- भगवान शिव पिनाक धनुष को धारण करते हैं इसलिए इनको पिनाक कहते हैं। मन्त्र : – ॐ पिनाकिने नमः
5. शशिशेखर:- मस्तक पर चंद्रमा को धारण करने के कारण शिव को शशिशेखर कहा जाता है।
मतिमयोSखिलजीवसमष्टिरप्यमथि दक्षमखे हिमगुवृर्था।
इति धिया दयया विधृतस्त्वया शिरसि तेन भवान् शशिशेखर:।।
इस नाम का शिव मन्त्र : ॐ शशिशेखराय नमः Om Shashishekharaya Namah.
6. वामदेव:- अत्यंत सुंदर रूप को लिए हुए, सुंदर रूप वाले शिव। भगवान् शिव सभी को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करने वाले।
जडं हि गम्यतेSन्येन नाSजडं मुनि पुंगवा:।
शिवो नैव जड: साक्षात् स्वप्रकाशैकलक्षण:।।
इस नाम का शिव मन्त्र : ॐ वामदेवाय नमः Om Vamadevaya Namah
7. विरूपाक्ष:- विलक्षण नेत्रों वाले। शाब्दिक रूप से असुंदर आखों वाले।
विषमणि विवि्धशक्तीफीन्यक्षीणि विलक्षणानि वाक्षाणि।
हर! हेमकूटशैले लिंगे व्यक्तोSस्यतो विरूपाक्ष:।।
8. कपर्दी:- जटाजूट धारण करने वाले शिव। ‘कपर्द’ का अर्थ होता है ‘जटाजूट’ और इसी कारण से शिव को कपर्दी कहा जाता है।
जटाकटाह संभ्रमन् भ्रमन्निलिम्पनिर्झरि
विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद् धगद् धगद् ज्वलललाटपट्टपावके
किशोरचन्शेखरे रति: प्रतिक्षणं मम।।
कदर्पि नाम का शिव मन्त्र : ॐ कपर्दिने नमः Om Kapardine Namah
9. नीललोहित:- नीले और लाल रंग वाले, नीले और लाल रंग के मिश्रण के कारण ही शिव को नीललोहित कहा जाता है।
नेमाङ्गनं प्रकृतिपूरुषं रवेरन्तश्च रूपयुगपद्वपुस्तव।
वधोSलिकाम्बुकणतोSरुणासिताज्जात: शिव! त्वमिति नीललोहित:।।
इस नाम का मन्त्र: ॐ नीललोहिताय नमः Om Nilalohitaya Namah
नेमाङ्गनं प्रकृतिपूरुषं रवेरन्तश्च रूपयुगपद्वपुस्तव।
वधोSलिकाम्बुकणतोSरुणासिताज्जात: शिव! त्वमिति नीललोहित:।।
इस नाम का मन्त्र: ॐ नीललोहिताय नमः Om Nilalohitaya Namah
10. शंकर:- समस्त जगत का कल्याण करने के कारण ही महादेव शंकर कहलाते हैं।
शिव जी के इस नाम का मन्त्र : ॐ शंकराय नमः Om Shankaraya Namah
11. शूलपाणी:- भगवान् शिव आसुरी शक्तियों के नाश के लिए अपने हाथों में त्रिशूल को पकड़े रहते हैं इसलिए इनको शूलपाणि कहा कहा जाता है।
शिव! तृप्तपुरस्य लिंगमध्ये प्रकट: संस्त्रिगुणात्मकाललोकै:।
शुचिशक्तिदशादिभिस्त्रिशूलं विदधत् त्वं प्रथितोSसि शूल्पाणिः||
शिव जी के इस नाम का मन्त्र :
शिव! तृप्तपुरस्य लिंगमध्ये प्रकट: संस्त्रिगुणात्मकाललोकै:।
शुचिशक्तिदशादिभिस्त्रिशूलं विदधत् त्वं प्रथितोSसि शूल्पाणिः||
शिव के इस नाम का मन्त्र : ॐ शूलपाणये नमः Om Shulapanaye Namah
शिव जी के इस नाम का मन्त्र : ॐ शंकराय नमः Om Shankaraya Namah
11. शूलपाणी:- भगवान् शिव आसुरी शक्तियों के नाश के लिए अपने हाथों में त्रिशूल को पकड़े रहते हैं इसलिए इनको शूलपाणि कहा कहा जाता है।
शिव! तृप्तपुरस्य लिंगमध्ये प्रकट: संस्त्रिगुणात्मकाललोकै:।
शुचिशक्तिदशादिभिस्त्रिशूलं विदधत् त्वं प्रथितोSसि शूल्पाणिः||
शिव जी के इस नाम का मन्त्र :
शिव! तृप्तपुरस्य लिंगमध्ये प्रकट: संस्त्रिगुणात्मकाललोकै:।
शुचिशक्तिदशादिभिस्त्रिशूलं विदधत् त्वं प्रथितोSसि शूल्पाणिः||
शिव के इस नाम का मन्त्र : ॐ शूलपाणये नमः Om Shulapanaye Namah