भाग बिना नहीं पावे जी लिरिक्स Bhag Bina Nahi Pave Ji Bhajan Lyrics Shiv Bhajan Hindi Meaning

भाग बिना नहीं पावे जी लिरिक्स Bhag Bina Nahi Pave Ji Bhajan Lyrics Shiv Bhajan Hindi Meaning

शिव समान दाता नहीं,
लज्जिया मोरी राखियो,
शिव बैलन के असवार।
शंकर शंकर मैं रटूं,
तो शंकर कितनी दूर है,
ईमानदार के पास में,
भाई बेईमानों से दूर है।

कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का भोग,
दाखा पाके बाग़ में,
जदी काका कंठा रोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का भोग।

मृत्यु लोग में घूम रहे थे,
शिव जी गोरा साथे,
भील भीलण ने आता देख्यां,
कोई मोळी लीनी माथे,
लारा टाबरिया कुर लावे जी,
नहीं रोटी रा जोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का भोग।

बदन पर कपड़ा नहीं,
पैदल पगा उभाणा,
दुख स्यूं काया दुर्बल व्हेगी,
नहीं रहबा का ठिकाणा,
लारा टाबरिया कुर लावे जी,
नहीं रोटी रा जोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का भोग।

रास्ते में रख दी शिव जी,
सौ मोहरा की थैली,
भीलण केवे आख्या मिचड़ो,
चालो गैली गैली,
मोहरां एक तरफ रे जावे जी,
नहीं मिलण का जोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का भोग।

चालो गोरा जल्दी चालो,
इनकी किस्मत फूटी,
में तो जद चालू ला शिव जी,
आने देवे मु मांगण री छुट्टी,
माता पार्वती फरमावे जी,
आछ्या मिलिया संजोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का भोग।

भीलण केवे सुनो शिवजी,
में बण जाऊँ राजा की राणी,
अब भील भीलण में झगड़ो होग्यो,
होगी खेचा ताणी,
भीलण राणी बन कर जावे जी,
रोतो रहीज्ये रै म्हारा लोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का भोग।

भील बोल्यो सुणो बापजी,
म्हारी भी थे सुण लीज्यो,
आ भीलण राणी बणगी,
या गंडकड़ी कर दीज्यो,
अरे या बस्ती रे जावे जी,
आवे हड़क्या वाळो रोग,
कोई भाग बिना नहीं पावे जी,
भली वस्तु का भोग। 

 
बालक बोल्यो सुणो शिवजी,
म्हारी भी थे सुण लीज्यो,
म्हाने और कुछ नहीं चाहवे,
म्हाने पहली जैसा कर दीज्यो।  

भाग बिना नहीं पावे जी लिरिक्स Bhag Bina Nahi Pave Ji Bhajan Lyrics Shiv Bhajan Hindi Meaning

शिव समान दाता नहीं : शिव के समान अन्य कोई दाता (देनेवाला) देव नहीं है।

लज्जिया मोरी राखियो शिव बैलन के असवार शंकर शंकर मैं रटूं : हे शिव मेरी लज्जा को रखना मैं शिव शिव ही रटता रहता हूँ। आप ही बैलो की सवारी करते हो।
तो शंकर कितनी दूर है, ईमानदार के पास में,  भाई बेईमानों से दूर है : शंकर अपने ईमानदार भक्तों के समीप हैं और बेईमानों से दूर हैं।
कोई भाग बिना नहीं पावे जी, भली वस्तु का भोग : कोई भी व्यक्ति अपने भाग्य के बगैर, भाग्य के अतिरिक्त कुछ भी प्राप्त नहीं करता है।
दाखा पाके बाग़ में, जदी काका कंठा रोग : उदाहरण स्वरुप काग (कौवा) के भाग्य में अंगूर (दाखा-द्राक्षा) नहीं लिखा होता है क्योंकि जब अंगूरों के पकने का समय आता है तो उसे कंठ (गले) का रोग हो जाता है।
कोई भाग बिना नहीं पावे जी, भली वस्तु का भोग : ऐसे ही कोई भी व्यक्ति भाग्य के बिना कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता है।
मृत्यु लोग में घूम रहे थे, शिव जी गोरा साथे : इस भजन में शिव और माता पार्वती के भ्रमण का उदाहरण देकर स्पष्ट किया गया है की किस प्रकार से व्यक्ति भाग्य के अतिरिक्त कुछ प्राप्त नहीं कर पाता है। एक बार शिव और माता पार्वती मृत्यु लोक (पृथ्वी) में भ्रमण कर रहे थे।
भील भीलण ने आता देख्यां, कोई मोळी लीनी माथे : उन्होंने देखा की भील (एक आदिवासी जाति ) और भीलनी मोली (एक तरह की जंगल में पैदा होने वाली वस्तु ) लेकर आ रहे हैं।
लारा टाबरिया कुर लावे जी, नहीं रोटी रा जोग : उनके पीछे उनके बच्चे चिल्लाते हुए चल रहे थे और उनकी रोटियों की भी कोई व्यवस्था नहीं थी।
बदन पर कपड़ा नहीं, पैदल पगा उभाणा : उनके बदन पर कपडे नहीं थे और वे नंगे पाँव पैदल चल रहे थे।
दुख स्यूं काया दुर्बल व्हेगी, नहीं रहबा का ठिकाणा : दुःख और संताप से उनकी काय दुर्बल हो गई, उनके रहने का भी कोई ठौर ठिकाना नहीं था।
रास्ते में रख दी शिव जी, सौ मोहरा की थैली : माता पार्वती के कहने पर शिव ने उनके राह में मोहर (अशर्फी ) की थैली रख दी।
भीलण केवे आख्या मिचड़ो, चालो गैली गैली : तभी भीलनी,  भील से कहती है की तुम अपनी आँखों को बंद कर लो और राह (गैली गैली ) पर सीधे चलो।
मोहरां एक तरफ रे जावे जी, नहीं मिलण का जोग : इसी कारण से मोहर एक तरफ रह जाती हैं क्योंकि उनका उसके लिए कोई जोग नहीं था।
चालो गोरा जल्दी चालो, इनकी किस्मत फूटी : शिव जी कहते हैं की गौरा आप जल्दी चलो यहाँ से इनकी किस्मत ही फूटी हुई है।
में तो जद चालू ला शिव जी, आने देवे मु मांगण री छुट्टी : पार्वती जी इस पर कहती हैं की मैं तो तभी चलूंगी जब आप इनको कुछ दो जिससे इनको माँगना नहीं पड़े।
भीलण केवे सुनो शिवजी, में बण जाऊँ राजा की राणी : शिव जी के द्वारा जब भील और भीलनी को आशीर्वाद देने की बारी आती है तो भीलनी शिव जी से कहती है की मुझे आप रानी बना दीजिए।
अब भील भीलण में झगड़ो होग्यो, होगी खेचा ताणी : इस पर भील और भीलनी के मध्य खींचा तानी होने लगती है।
भीलण राणी बन कर जावे जी, रोतो रहीज्ये रै म्हारा लोग : आशीर्वाद प्राप्त करके भीलनी रानी बन कर चली जाती है और अपने पति से कहती है की तुम ऐसे ही रोते रहना, मैं तो चली।
भील बोल्यो सुणो बापजी, म्हारी भी थे सुण लीज्यो : इस पर भील कहता है की मेरी भी सुनों।
आ भीलण राणी बणगी, या गंडकड़ी कर दीज्यो : इस भीलनी को आप कुतिया (गंडकड़ी) बना दो।
आवे हड़क्या वाळो रोग : और इसे कुत्ते को होने वाला संक्रामक रोग जिसमे कुत्ता उलटी सीधी हरकतें करने लग जाता है, हो जाए।
बालक बोल्यो सुणो शिवजी, म्हारी भी थे सुण लीज्यो, म्हाने और कुछ नहीं चाहवे, म्हाने पहली जैसा कर दीज्यो : अंत में भील और भीलनी का बालक कहता है की हमें कुछ अन्य नहीं चाहिए हमें पहले जैसा बना दो। भाव है की भाग्य में लिखा होने के अभाव में कुछ भी प्राप्त नहीं हो पाता है।