मत कर माया को अहंकार लिरिक्स मीनिंग Mat Kar Maya Ko Ahankaar Lyrics Meaning

मत कर माया को अहंकार लिरिक्स मीनिंग Mat Kar Maya Ko Ahankaar Lyrics Meaning, Kabir Bhajan by Prahlaadi Singh Tipaniya.

आया है सब जाएगा,
और राजा रंक फ़क़ीर
कोई सिंहासन चड़ चले,
और कोई बंधे ज़ंजीर,
पता टूटा डाल से,
ले गई पवन उड़ाए,
अबके बिछड़े कब मिले,
दूर पड़ेंगे जाए,
वृक्ष बोला पात से,
और सुनो पात मेरी बात,
इस घर की रीत यही,
और एक आवे एक जाए,

मतकर माया को अहंकार,
मतकर काया को अभिमान,
काया गार से काची,
काया गार से काची रे,
जैसा ओस का मोती,
झोंका पवन का लग जाय,
झपका पवन का लग जाय,
काया धूल हो जासी।

ऐसा सख्त था महाराज,
जिनका मुल्कों में नाम,
जिन घर झूलता हाथी,
जिन घर बंधता हाथी,
उण घर दिया ना बाती,
झोंका पवन का लग जाय,
झपका पवन का लग जाय,
काया धूल हो जासी,
मत कर काया को अभिमान,
काया गार से काची।

भरिया सिंदड़ा में तेल जासे,
रच्यो है सब खेल,
जल रही दिया री बाती,
जैसा ओसरा मोती,
झोंका पवन का लग जाय,
झपका पवन का लग जाय,
काया धूल हो जासी,
मत कर काया को अभिमान,
काया गार से काची।

खुट गया सिंदड़ा रो तेल,
बिखर गया सब नट खेल,
बुझ गई दिया री बाती,
जैसा ओसरा मोती,
झोंका पवन का लग जाय,
झपका पवन का लग जाय,
काया धूल हो जासी।
मत कर काया को अभिमान,
काया गार से काची।

ये तो लालों मैं का लाल,
तेरा कौन क्या हवाल,
जिनको जम ले जासी,
जैसा ओसरा मोती,
झोंका पवन का लग जाय,
झपका पवन का लग जाय,
काया धूल हो जासी।
मत कर काया को अभिमान,
काया गार से काची।

झूठा माय थारा बाप,
झूठा सकल परिवार,
झूठी कूटता छाती,
जैसा ओसरा मोती।
जैसा ओसरा मोती,
झोंका पवन का लग जाय,
झपका पवन का लग जाय,
काया धूल हो जासी।
मत कर काया को अभिमान,
काया गार से काची।

बोल्या भवानीनाथ गुरूजी ने,
सिर पे धरिया हाथ,
जासे मुक्ति हो जासी,
जैसा ओसरा मोती,
झोंका पवन का लग जाय,
झपका पवन का लग जाय,
काया धूल हो जासी।
मत कर काया को अभिमान,
काया गार से काची।

मतकर माया को अहंकार भजन मीनिंग हिंदी Mat Kar Maya Ko Ahankaar Bhajan Meaning in Hindi (Prahlaadi Singh Tipaniya)

आया है सब जाएगा, और राजा रंक फ़क़ीर : इस संसार में जिसने जन्म लिया है वह मृत्यु को प्राप्त होगा, एक रोज अवश्य ही उसे जाना पड़ेगा।
कोई सिंहासन चड़ चले, और कोई बंधे ज़ंजीर : कोई सिंघासन पर चढ़ता है और कोई जंजीरों में बंधता है। यह कर्मों का फल है जो हमें हमारे कर्मों के मुताबिक़ अवश्य ही भोगना पड़ेगा।
पता टूटा डाल से, ले गई पवन उड़ाए : पत्ता डाल से टूट जाता है और उसे पवन अपने साथ उड़ा कर ले जाती है।
अबके बिछड़े कब मिले, दूर पड़ेंगे जाए : अबके बिछडे जाने हम कब मिलेंगे, पत्ता वृक्ष से कहता है की अबकी बार टूट कर जाने हम कहाँ पर जा गिरेंगे।
वृक्ष बोला पात से, और सुनो पात मेरी बात : वृक्ष इस पर पत्ते से कहता है की तुम मेरी बात को सुनों।
इस घर की रीत यही, और एक आवे एक जाए : इस घर की यही रीत है की एक आता है और दूसरा जाता है। जगत की भी यही रीत है यहाँ पर लोगों का आना जाना लगा रहता है। यहाँ पर कोई भी स्थाई नहीं होता है।
मतकर माया को काया गार से काची : इसलिए साहेब का सन्देश ही की तुम माया का अभिमान मत करो, तुम्हारी काया/तन तो गार से भी काची है। गार से आशय है कच्ची मिटटी से।
जैसा ओस का मोती, झोंका पवन का लग जाय : यह जीवन कैसा है ? जैसे ओस का पानी एक स्थान पर इकठ्ठा होकर, पत्ते पर जमा होकर मोती जैसा लगता है लेकिन एक पवन का झोँका उसे अपने स्थान से उड़ा ले जाता है।
झपका पवन का लग जाय, काया धूल हो जासी : ऐसे ही एक पवन के झौंके से यह काय धुल (मिटटी ) हो जायेगी। मानव देह पांच तत्वों का पुतला है और पञ्च तत्व में ही पुनः मिल जाता है। यही इस संसार की रीत है।
ऐसा सख्त था महाराज, जिनका मुल्कों में नाम : उदाहरण के स्वरुप साहेब कहते हैं की एक समय पर एक राजा अत्यंत ही सख्त था जिसके घर पर हाथी बंधा करते थे। हाथी बांधने से आशय है की वह बहुत धनी था।
उण घर दिया ना बाती, झोंका पवन का लग जाय : आज उसके घर पर दिया है ना बाती। यह समय का फेर है की आज वह कंगाल हो चूका है। राम नाम ही स्थाई धन होता है।
झपका पवन का लग जाय, काया धूल हो जासी : एक पवन के झौंके से काया मिटटी हो जाती है।
ये तो लालों मैं का लाल, तेरा कौन क्या हवाल : ऐसे मैं तेरे कौन हवाल है,
जिनको जम ले जासी, जैसा ओसरा मोती : उनको यमदूत लेकर चले जाते हैं।
झूठा माय थारा बाप, झूठा सकल परिवार : तेरे माता और पिता झूठ हैं और सम्पूर्ण परिवार भी झूठ हैं।
झूठी कूटता छाती, जैसा ओसरा मोती : तुम झूठी ही हायहाय करते हो। छाती कूटने से आशय है रुदन करना। तेरा कोई नहीं है। तुम किसके लिए संताप कर रहे हो ?
बोल्या भवानीनाथ गुरूजी ने, सिर पे धरिया हाथ : गुरु की कृपा असीम है भवानी नाथ जी कहते हैं की गुरु ने मेरे सर पर हाथ रखा है।
जासे मुक्ति हो जासी : गुरु के कारण ही, इससे मुक्ति प्राप्त हो जायेगी।