तू ही है, मेरे हर वादों में
जाने दे, हुई है गलती मुझसे
मानता हूँ मैं…
क्या करूँ, तुझको मनाना ही तो चाहता हूँ मैं
फिर क्यों
नज़रें चुरावे, मुझको सतावे
ओ सजना वे .. सुन सजना वे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ओ सजना वे .. सुन सजना वे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
चाँद है तू और, बाकी सितारे
फीके लगे तेरे आगे ये सारे
जब से मिली है तुझसे निगाहें
देखे बिना मुझसे रहा भी न जाए
तू ही छुपा है ख्यालों में
तू ही किताबों सवालों में
चाहत है तेरा ही बनके मैं रहूँ
बिन तेरे एक दिन भी मुश्किल जीना
बिन तेरे जैसे
फिर क्यों
नज़रें चुरावे, मुझको सतावे
ओ सजना वे.. सुन सजना वे
ऐसे तू मुझको ठगे
ओ सजना वे.. सुन सजना वे
ऐसे तू मुझको ठगे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ओ सजना वे… सुन सजना वे ऐसे
तू मुझको ठगे
ओ सजना वे… सुन सजना वे
ऐसे तू मुझको ठगे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ओ सजना वे… सुन सजना वे
ऐसे तू मुझको ठगे
ओ सजना वे… सुन सजना वे
ऐसे तू मुझको ठगे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ऐसे तू मुझको ठग्गे
ऐसे तू मुझको ठग्गे