कोई हकीमी काम ना आए
तेरी सुद में जब ना तड़पुं
ऐसी कोई शाम ना आए
मन ही अकेला धन था मेरा
लेके हुए दो नैन फरार
ऐसे लुटेना कोई जैसा
लुटा कबीरा बीच बाजार
प्राण चले हैं छोड़ बदन को
हार गए पंडित ओझा
सांस बिना मैं जी लू सजनी
एक बार मेरी होजा
तू…
होली के रंगो जैसी तू…
उड़ती पतंगो जैसी तू…
पीछे पीछे भगून मैं तेरे लिए रे…
तू…
घोर अमावस में मैं जन्म
तू पूनम की बरसात में आई
मैं गोकुल का वन हूं राधा
तू बरसाने की अमराई
चमक उठू मैं खिल जौ
तू मंतर जो मुझपे फेरे
मुझ में मेरा क्या है सजनी
मान मुरली दोनो तेरे
पोर पोर में प्रीत जगा दे
रोम रोम अमृत भर दे
रास रचाके राधा रानी
इस ग्वाले को कान्हा करदे
कभी मेरा दिल चुकार
जादू चला जादूगर
कोई ना जो कर पाया
ओह वसुधा वो तू कर
ओहू…
कोरा
मैं यूं तेरे बिन
जैसे कागज का पन्ना हो सियाही बिना रे
तू…
लाल अधेर हैं गल गुलाबी
कारे नैन लाजाये हैं
राम कसम एक तन में तूने
कितने रंग छुपे हैं
कौन है तीनों लोक में ऐसा
देख तुझे जो तंग नहीं
तेरे रंग से मिलता जुलता
जग में कोई रंग नहीं
बारात मेरे लेके आजा
ओ चंदा अपनी डोली
मल दे अबीर मेरे तन मन पे
याद रहेगी ये होली
तू…