इश्क की तू हर एक किस्म ले ले
मेरी लिखी हुई हर नज़्म ले ले
अपनी महफ़िल में हैं हसीं लाखों
मिसाल के लिए ये बज़्म ले ले
मेरी लिखी हुई हर नज़्म ले ले
अपनी महफ़िल में हैं हसीं लाखों
मिसाल के लिए ये बज़्म ले ले
या तो तू रूह ले ले
या तो तू जिस्म ले ले
या तो तू रूह ले ले
या तो तू जिस्म ले ले
जिस्म की बात क्यों नहीं करते
रूह आज़ाद क्यों नहीं करते
सारी जज़्बात सिमट जायेगी
मुझको बरबाद क्यों नहीं करते
या तो तू रूह ले ले
या तो तू जिस्म ले ले
या तो तू रूह ले ले
या तो तू जिस्म ले ले
यो यो हनी सिंह
जब जी मेरे रूह में रूह
जिस्म में तूने उलझाया मुझे
सुनी ना तूने आरज़ू
नूर से घूर फ़साया मुझे
तड़पाया मुझे ढकेला ऐसा
निकल ना पाया हूं मैं
बेकसूर लेकिन इल्ज़ाम-ओ-तले
गया दबाया हूं मैं
आया हूं मैं नया शक्स बनके
तू जीना मेरा अक्स बनके
सवाल उठे अक्षर जिनपे
वो जीते हैं अश्क जीन के
पर अब रात को जागेगी तू
तुझे चैन ना मिलेगा दिन में
घुस गया था तेरे रूह में मैं
अब घुस जाऊंगा तेरी स्किन में