अपनी ही मस्ती में
कोई आशियाना चाहूँ ना
ख़ुश हूँ अपनी बस्ती में
बस्ती में बस्ती में
बस्ती में बस्ती में
अब छोड़ चुके है घर
हो गया है शुरू सफर
मुझे मिल चुकी है मंजिल
सपनों की कश्ती में
कश्ती में कश्ती में
कश्ती में कश्ती में
मौसमो की तरह मैं बदलता ही रहा
आवारा मैं आवारा
ना किसी का सहारा
ना किसी ने पुकारा
मैं चलता ही रहा
आवारा मैं आवारा
ना किसी का सहारा
ना किसी ने पुकारा
मैं चलता ही रहा
आवारा मैं आवारा
आवारा मैं आवारा
सारी ही जिंदगी मुझको दी ये सजा
क्यू की थी मैंने ज़माने की परवाह
नाजाने आया कहाँ से अब ये हौसला
ख़ुश हूँ मैं आजकल ख़ुशियों में गुमशुदा
खुशियों में गुमशुदा
खुशियों में गुमशुदा
चल दिये हैं हम उधर
लेजाये हवा जिधर
आशिक हैं मंजिलों के
रस्तों का ना कोई डर
रस्तों का ना डर
रस्टन का
रस्तों का ना डर
ख्वाबों के पिंजरे में
दिल जलता ही रहा
आवारा मैं आवारा
ना किसी का सहारा
ना किसी ने पुकारा
मैं चलता ही रहा
आवारा मैं आवारा
ना किसी का सहारा
ना किसी ने पुकारा
मैं चलता ही रहा
आवारा मैं आवारा
हो ओह हो ओह
आवारा मैं आवारा
हो ओह हो ओह