तेरी ज़मीन से हम
सर उठाके चले
हमें हंस के विदा कर माँ
सर उठाके चले
हमें हंस के विदा कर माँ
लाल हैं हम तेरे
याद करना हमें
ढोल ताशे बजा कर माँ
ओ माय तेरी मिट्टी बुलाए तो
ये दुनिया छोड़ के आ जाएं
तू जो आवाज़ लगाए तो
तिरंगा ओढ़ के आ जाएं
ओ माय तेरे काम नहीं आए
तो फिर बेकार जवानी है
बहाएंगे खून तेरी खातिर
जितना गंगा में पानी है माँ
अगर जान जाती है तो जाए
जाए रे माय कभी तेरी आन न जाए रे
जला देंगे अपनी हम चिताएं
तुझपे ओ माय कभी कोई आंच न आए रे
तू मेरे लिए मैं तेरे लिए
तेरे ही रहें मरें या जिएं
तेरे ही नग़्मे गाएं
जाते-जाते माय रे
ओ माय तेरी मिट्टी बुलाए तो
ये दुनिया छोड़ के आ जाएं
तू जो आवाज़ लगाए तो
तिरंगा ओढ़ के आ जाएं
ओ माय तेरे काम नहीं आए
तो फिर बेकार जवानी है
बहाएंगे खून तेरी खातिर
जितना गंगा में पानी है माँ