तेरे बिना कहानी मेरी
अधूरी रह गई
छुड़ा के दामन
वो घर का आंगन
तू यादें बन गई
अधूरी रह गई
छुड़ा के दामन
वो घर का आंगन
तू यादें बन गई
एक बार फिर लौट आ जा
बाहों में मेरी समा जा
बेरंग है दिल तेरे बिना
बेरंग लगता सारा जहां
बेरंग करके चले गए
बेरंग अब हम कैसे जिएं
खुशबू तेरी, हंसी वो तेरी
तू फिज़ा में छोड़ गई
जानूं मैं ये भी
तू है यहीं
पर दिखेगी न कभी
बेरंग है दिल तेरे बिना
बेरंग लगता सारा जहां
बेरंग करके चले गए
बेरंग अब हम कैसे जिएं