सर्वसिद्धि श्री श्याम अर्चना लिरिक्स Sarvsidhhi Sri Shyam Archna Lyrics

सर्वसिद्धि श्री श्याम अर्चना लिरिक्स Sarvsidhhi Sri Shyam Archna Lyrics C. S. Lahari, Singer & Writer: Chandrashekhar Sharma Lahari

श्री श्याम अति आनंद अविरल वृष्टि जन जन पर करे,
जाए ना बरनत का कहुं छवि, दृष्टि  पल पल दुःख हरे।
सिर मोर पंख प्रतीत पावन,भाल शशि जिमि शिव धरे,
सोहे  मुकुट  मणिमय अलंकृत, स्वर्णाभूषित  हिय वरे।
अधरं मधुर मनमोहिनी, माया मनोरथ माया परे,
मनो कामना, मनो वेदना, बाँचत त्वरित फल संचरै।
श्री श्याम अति आनंद अविरल वृष्टि जन जन पर करे,
जाए ना बरनत का कहुं छवि, दृष्टि  पल पल दुःख हरे।
जय श्याम, जय श्याम,
जय श्याम, जय श्याम, जय जय श्याम।

श्रृंगार सुमन सुगंध मन कोऊ, चूक भल ना अवसरे,
गुंजन करे स्तुतिगान रसना, जयति जय जय उच्चरे,
महा मन्त्र जय श्री श्याम जप, हारे को जो विजयी करे,
सौगंध तव प्रताप दिक् विकट खल दल खीरे।
श्री श्याम अति आनंद अविरल वृष्टि जन जन पर करे,
जाए ना बरनत का कहुं छवि, दृष्टि  पल पल दुःख हरे।
जय श्याम, जय श्याम,
जय श्याम, जय श्याम, जय जय श्याम।

हरिहर समाहित तेज मुख मंडल पर दमकत हिय हरे,
कोटिन लजावत काम कामिनी, कामना करि करि मरे,
“लहरी” शरण परिजन सहित, आशीष तव शीश पर धरे,
मति मंद मूढ़ ना जानता कुछ, अवगुणादि अथाह भरे,
श्री श्याम अति आनंद अविरल वृष्टि जन जन पर करे,
जाए ना बरनत का कहुं छवि, दृष्टि  पल पल दुःख हरे।
जय श्याम, जय श्याम,
जय श्याम, जय श्याम, जय जय श्याम।