चालत चालत जुग भया लिरिक्स मीनिंग Chalat Chalat Jug Bhaya Meaning

चालत चालत जुग भया लिरिक्स मीनिंग Chalat Chalat Jug Bhaya Meaning Kabir Bhajan by Shabnam Virmani (Kabir Bhajan Hindi Meaning)

 जी कबीरा रे
चालत चालत जुग भया
कौन बतावे धाम जी?
बिना भेदूं रे व्हाला कईं फिरे रे
पाँव कोस पर गाम जी

जी कबीरा रे
कुण मटकी कुण झेरना रे
कुण बिलोवनहार जी?
तन मटकी मन झेरना रे
सुरत बिलोवनहार जी

जी कबीरा रे
सुरत बाण भमी रह्यो रे
झेल सके तो झेल जी
सूरा होवे तो रे सनमुख लड़िये
नहीं कायर रो खेल जी

जी कबीरा रे
घृत कबीरो संत पी गयो रे
छाछ पीए संसार जी
घृत पीया तो व्हाला क्या हुआ रे?
धेन धणी रे पास जी

जी कबीरा रे
सूली के ऊपर घर हमारा
ओथ पायो विश्राम जी
संत कबीरो रमी रहयो रे
आठ पहर होशियार जी

तुम चलते जा रहे हो, ऐसे ही यह अनंत यात्रा करते कई युग बीत गए हैं। तुम्हे कौन मंजिल (धाम) का पता बताएगा ? यह क्या अज्ञानता की यात्रा नहीं है, अवश्य ही तुम एक तरह के भरम का शिकार होकर चले जा रहे हो, कहाँ जा रहे हो, इसका बोध तुमको नहीं है। यदि तुम सहज होकर, सच्चे हृदय से पता लगाओ तो उस परम पुरुष का धाम, एक ही कदम की दूरी पर है, जैसे तिल के पीछे ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड छुपा हुआ है।
मटकी कौन है, कौन झेरणा (दूध दही निकालने की बड़ी मटकी में एक लकड़ी का यंत्र लगाया जाता है जिससे दही को मथा जाता है। इसे रस्सियों के सहारे से घुमाया जाता है/मधाणी ) और कौन है जो इस दूध/दही को बिलो रहा है। बिलोवणहार कौन है ? तन की मटकी है, और मन का झेरना है। तन पात्र का काम करता है और हृदय में सात्विक विचारों के प्रकट होने पर सुरता (आत्मा) इसे मंथने का कार्य करती है।
ज्ञान का बाण उड़ रहा है, यदि सामर्थ्य है तो इसे पकड़ लो। सूरवीर (संत) इससे आमने सामने की लड़ाई करता है, यह कायरों का खेल नहीं है। सूरवीर, संत और सती को साहेब ने एक ही दर्जे में रखा है जो कभी पीठ नहीं दिखाते हैं।
कबीर साहेब (आशय है की संत) घी का पान करते हैं और सम्पूर्ण जगत छाछ ही पीता है। अब यदि घृत समाप्त हो गया है तो क्या, मालिक के पास धन (गाय) तो है।
सुमिरण घृत है और बाकी सब मार्ग छाछ है, हमें किसका चयन करना है ?  कबीर साहेब की वाणी है की मेरा घर तो नौंक (तीर या भाले की धार) पर है, लेकिन मैंने वहाँ पर विश्राम पाया है। कबीर तो आठों पहर उसी में रम रहे हैं।