मलनीया कर सोलह श्रृंगार लिरिक्स Malaniya Kar Solah Shringaar Bhajan Lyrics

मलनीया कर सोलह श्रृंगार लिरिक्स Malaniya Kar Solah Shringaar Bhajan Lyrics, Krishna Bhajan Lyrics Hindi.

मलनीया कर सोलह श्रृंगार,
मलनीया कर सोलह श्रृंगार,
भाँती भाँती के उबटन लगाय के,
अपनों रूप निखार,
करे स्नान सरोवर तट पे,
सुंदर केश सम्भार,
तन पे कंचुकी, सुबिधि पहन के,
लहंगा कटी में धार,
अपने कर ले सुरंग चुनरी,
लइ शीश पे डार,
मलनीया कर सोलह श्रृंगार,
मलनीया कर सोलह श्रृंगार।

मुख पे विविध लगाय प्रसाधन,
काजर रेख संवार,
भरी मञ्जूषा, रंग गंध,
सुर झुकी विटप की धार,
बैठ सुत पुष्प पिरोये,
माला कर तैयार,
चली चढ़ाइबे श्याम सुन्दर पे,
महिमा अपरम्पार,
मलनीया कर सोलह श्रृंगार,
मलनीया कर सोलह श्रृंगार।

बाज उठी घंटी मंदिर में,
आरती रही उतार,
भक्ति भाव की सरस् माधुरी,
बार बार बलिहार,
भूल गई वो तन मन की सुध,
भूल गई संसार,
मलनीया कर सोलह श्रृंगार,
मलनीया कर सोलह श्रृंगार।
भाँती भाँती के उबटन लगाय के,
अपनों रूप निखार,
मलनीया कर सोलह श्रृंगार।