राम नाम अति मीठा है भजन लिरिक्स Raam Naam Ati Mitha Lyrics

राम नाम अति मीठा है भजन लिरिक्स Raam Naam Ati Mitha Lyrics With Meaning, Raam Bhajan by Rampriyashriji Maiji

राम नाम अति मीठा है,
कोई गा के देखले,
आ जाते है राम,
कोई बुलाके देख ले,
राम नाम, प्रभु का नाम,
राम नाम, हरी का नाम।
श्री राम जय राम, जय जय राम,
श्री राम जय राम, जय जय राम।

मन भगवान का मंदिर है,
मैल ना आने देना,
मानव तन अनमोल रतन है,
व्यर्थ गवाँ ना देना,
श्री राम जय राम, जय जय राम,
श्री राम जय राम, जय जय राम,
मन भगवान का मंदिर है,
कोई जो हरी आके,
मोल लगाके देख ले,
राम नाम अति मीठा है,
कोई गा के देखले,
आ जाते है राम,
कोई बुलाके देख ले,
राम नाम, प्रभु का नाम,
राम नाम, हरी का नाम।
श्री राम जय राम, जय जय राम,
श्री राम जय राम, जय जय राम।

बोलने जैसा रोग नहीं,
सदा मौन मन रहना,
मन में स्थान बनाके मनवा,
मालामाल हो जाना,
राम नाम अति मीठा है,
कोई गा के देखले,
आ जाते है राम,
कोई बुलाके देख ले,
राम नाम, प्रभु का नाम,
राम नाम, हरी का नाम।
श्री राम जय राम, जय जय राम,
श्री राम जय राम, जय जय राम। 

राम नाम अति मीठा है भजन मीनिंग Raam Naam Ati Mitha Meaning Raam Bhajan by Rampriyashriji Maiji

राम नाम अति मीठा है, कोई गा के देखले : इस सुन्दर राम भजन में राम नाम की महिमा का गुणगान है की राम के नाम जैसा मीठा और फलदाई कोई दूसरा नाम नहीं है। इस नाम की महिमा को जानने के लिए कोई भी इसके नाम का सुमिरण करके देख सकता है। राम नाम के गुणगान से व्यक्ति ईश्वर की महिमा को अधिकता से जान पाता है।
आ जाते है राम, कोई बुलाके देख ले : श्री राम अपने भक्तों के बुलावे पर शीघ्र ही आ जाते हैं, बस इसके लिए ईश्वर को मन से याद करना आवश्यक होता है।
राम नाम, प्रभु का नाम,  राम नाम, हरी का नाम : श्री राम की जय हो, श्री राम ही विजयी हैं।
मन भगवान का मंदिर है, मैल ना आने देना : जीवात्मा का हृदय मंदिर के समान होता है जिसमे भगवान् का वास होता है इसलिए उसे अपने मन को मैला नहीं होने देना चाहिए, सांसारिक मैल (सांसारिक क्रियाएं ) से इसे बचाकर रखना चाहिए।
मानव तन अनमोल रतन है, व्यर्थ गवाँ ना देना : करोड़ों योनियों में जन्म लेने के उपरान्त मानव का जन्म मिला है, मानव देह की प्राप्ति हुई है इसलिए जीवात्मा को अपने इस मानव तन की महत्वता को समझना चाहिए और ईश्वर के नाम का सुमिरन करना चाहिए।
कोई जो हरी आके :  मोल लगाके देख ले : मोल लगाने से आशय है की भक्ति की पूर्णता को प्राप्त हो जाए।
बोलने जैसा रोग नहीं, सदा मौन मन रहना : व्यक्ति अभिमानी होकर बड़ी बड़ी बातें कहता रहता है लेकिन उसके हाथ में कुछ भी नहीं होता है। व्यक्ति को सदा मौन रहकर ईश्वर का सुमिरन करना चाहिए। बोलने को रोग कहा है क्योंकि व्यक्ति बोलते वक़्त स्वंय का विश्लेषण नहीं करता है।
मन में स्थान बनाके मनवा, मालामाल हो जाना : मन में ईश्वर का स्थान बनाकर जीवात्मा सही मायनों में धनवान हो सकती है।