ए दिल जरा कल के लिए भी धड़क लेना
ये आज की शाम संभाल के रख लेना
कहां ऐसे लम्हे आएंगे फिर?
ये आज की शाम संभाल के रख लेना
कहां ऐसे लम्हे आएंगे फिर?
ये आग हवाओं में होगी कहां
कि रोज़ तू बाहों में होगी कहां
ये सोच के जान निकलती है
तुम आज के बाद मिलोगी कहां
ये आंच मिली है तो आज दहक लेना
ए दिल जरा कल के लिए भी धड़क लेना
न जाने मुझे क्यों ये बात डराती है
कि जो शाम गई वो न लौट के आती है
कहां हम-तुम यूं करीब आएंगे फिर?
मैं तारे-सितारे करूंगा क्या
जो पैरों तले ये जमीन न रही
वजूद मेरा ये तुम ही से तो है
रहा क्या मेरा जो तुम ही न रही
ए आंसू ठहर कभी और छलक लेना
ए दिल जरा कल के लिए भी धड़क लेना