आँखों से तूने
क्या कहा है
मन ज़रा भी अपने वश में ना रहा
क्या कहा है
मन ज़रा भी अपने वश में ना रहा
ये प्यार है या
और कुछ है
जो भी है ये छोड़ दें चल अनकहा
जब मौन तेरा
गाने लगा तो
रोके रुका ना
नदी सा ये मन बहा
ये प्यार है या
और कुछ है
जो भी है ये छोड़ दें चल अनकहा
पलकों तले तू
काजल के जैसा
तेरे बिन ये नैन दीपक है बुझे
तू चंद्रमा है
मैं एक लहर हूँ
खिंचता है बेतहाशा तू मुझे
हो तू कल्पना में
ना समाये
कर चूका हूँ सौ जतन मैं बारहा
ये प्यार है या
और कुछ है
जो भी है ये छोड़ दें चल अनकहा
जब मौन तेरा
गाने लगा तो
रोके रुका ना
नदी सा ये मन बहा
आ आ..