मुझे याद आती है
अपने देश की मिट्टी की खुशबू मुझे याद आती है
अपने देश की मिट्टी की खुशबू मुझे याद आती है
कभी बहलाती है, कभी तड़पती है
कभी बहलाती है, कभी तड़पती है
मुझे याद आती है, ओ, अपने देश की मिट्टी
अपने देश की मिट्टी की खुशबू मुझे याद आती है
बीते पल छूने लगे हैं दिल को ऐसे
दोस्त राखे हाथ कांधे पे जैसे
कैसी ये किरणें सी छन रही हैं
कैसी तस्वीरें सी बन पा रही हैं
कितने मौसम यादों में हैं आते-जाते
बारिश आई, खुल गए हैं काले छाते
दिन हैं अलसाये हुए जो आई गर्मी
सर्दीयों की धूप में है कैसी नरमी
पल-पल एक समय की नदियाँ हैं जो बहती जाती है
अपने देश की मिट्टी की खुशबू मुझे याद आती है
पिघले तन्हाइयों के हैं जो अँधेरे
जगमगाने से लगे हैं कितने चेहरे
एक लोरी है, एक लाल बिंदिया
लौट आई है मेरे बचपन की निंदिया
ओ, कोई एक तारिफ़ पे कब से गा रहा है
कोई आँचल जाने क्यों लहरा रहा है
हर घड़ी नई बात एक याद आ रही है
दिल में पगडंडी सी जैसे बन गई है
ये पगडंडी मेरे दिल से मेरे देश जाती है
अपने देश की मिट्टी की खुशबू मुझे याद आती है
अपने देश की मिट्टी की खुशबू मुझे याद आती है
मुझे याद आती है