किस्से ना इथे रैना
आपों अपनी बात मुक्का के
सब नु मुड़ना पैंदा
सब नु मुड़ना पैंदा
हो सब नु मुड़ना पैंदा
बैरागी राग ना जाने
मन मन को ना पहचाने
दर दर भटके तु क्यों प्यारा
कदमों में तेरे जहां है
फिर क्या तू ढूंढ रहा है
तेरे संग चलता है खुद खुदारा
बेफिक्री मेरे बंदेया
पंख खोल उड़ जा
मुट्ठी में तेरे आसमान
बह चल नदियों सा तू
तू हवा से हाथ मिला
तू खुद से आगे बढ़ चला
रे बंजारा हो बेपरवाह
रे बंजारा दिखा परवाज़
रे बंजारा तू रब का ताज
रे बंजारा
रे बंजारा हो बेपरवाह
रे बंजारा दिखा परवाज़
रे बंजारा तू रब का ताज
रे बंजारा
पढ़ पढ़ेया फाज़ल होन्येयों
कद्दे अपने आप नु पढ़ेया ही नै
जा जा वर्दे मंदिर मज़ीद तान
कद्दे मन अपने विच वड़ेया ही नै
कद्दे मन अपने विच वड़ेया ही नै
हाथों की तेरी लकीरें
तुझे ही ताक रहें
किस्मत अपनी खुद से लिख जा
जिद्द कर ले पर्वत भी
तेरे आगे झुक जाएगा
तुझ में बसता है ये जहां
रे बंजारा हो बेपरवाह
रे बंजारा दिखा परवाज़
रे बंजारा तू रब का है ताज
रे बंजारा
रे बंजारा हो बेपरवाह
रे बंजारा दिखा परवाज़
रे बंजारा तू