जब भी बातें तेरी सोचूं जाना
वो देखते रहना चेहरा तेरे
आँखों में खो जाना
क्या पागलपन था सोचना
वो ना जाएगी
आदत हम में
ना मुझे भूल पाएगी
सजना दूर… आ गए
कितने दूर आ गए
चलते थे साथ में
अब तू मेरे साथ नहीं
डेली जीती थी पर बेटा आज नहीं
खोने का डर था तब भी
मैं सब सह रहा था
बोला था काफी करने देती बात नहीं
हम हल्के थे तब भी
ये रिश्ता लगने लगा हैवी
मैं तो तड़पूँगा
पर तेरे को पता नहीं चलेगा कभी
मेरी आदत है तू जाते जाते जाएगी
ये हेबिट्स है
ऐसे माइंड गेम्स के लिए जिम नहीं था कभी रेडी
जब करे बातें शुरू
सारी बातें फुजूल
पर साथ है गुरूर हल्का
थे साथे यादें कुसूर
पर तेरी बातें हैं रूड
तेरी संचे में हूँ पलता
ये साला खोने का डर
खुद ही खोदे कबर
मेरा लो फेस चले दिन रात
ये छोटे मोटे हुड़ल आज होंगे न कल
तू खोजे मुझे पर मैं ना मिलता
सजना दूर… आ गए
कितने दूर आ गए
हम्म बिखरी है बिखरी है
बिखरी हुई है हर बात यहाँ पे बस
बिखरी है बिखरी है
बिखरी है तू दिन रात
तुझे ना पहचाना क्यूँ
ना सच तेरा जाना क्यूँ
गलतफहमी की तू मेरी
था मैं अनजाना क्यूँ
बोलो ऐसे तोड़ क्यूँ मुझे
कब बताएगी
आदत हम में
ना मुझे भूल पाएगी
सजना दूर… आ गए
कितने दूर आ गए
खोने को कुछ यादें हैं
पाने को है जहाँ
भले तू मेरे आगे है
देख पीछे नहीं मैं जान
तेरे लिए मैं बदला क्यूँ
पता ही ना चला
मन कहे साला बदला लूँ
जा छोड़ा तुझे जान
सजना दूर… आ गए
कितने दूर… आ गए
सजना दूर…
कितने दूर…