वो बैठी थी सामने
कहती मुझसे बात कर
कभी तो मेरा नाम ले
मैं खुश हूँ कि
तू आँखों के सामने
पर तू ज़्यादा न बोलता
और हम दोनों ये जानते
ऐसा लगता अभी बोल पड़ेगा
अभी खोल देगा सारे राज़
जो दरवाज़े जानते
कितनी आई अंदर कितनी गयी बाहर
हम तो धोखे में रहे
बस हम ये सच नहीं मानते
और ऐसे भी
अब क्या ही करना दुनिया का
जहाँ पे जान लेले
जान प्यार के नाम पे
मैं तो मुफ़्त में ही
तेरी हो चली थी
पर आज पता चला
कभी हुए हम भी नीलम थे
हम तुमसे क्या ही लड़ेंगे
तुम जीत जाते हो
हम तुमसे क्या ही लड़ेंगे
तुम जीत जाते हो
हम तुमसे क्या ही लड़ेंगे
तुम जीत जाते हो
हम तुमसे क्या ही लड़ेंगे
तुम जीत जाते हो
कितना कुछ कहा तूने कब सुनी
ये कहानी भी है खुद चुनी
पर मैं इलज़ाम लगाता नहीं
क्योंकि ऐसा करना मैं चाहता नहीं
और तूने ऐसी बातें कब सुनी
के तेरी मुझे नहीं खले कमी
मैं बस तुझे याद दिलाता नहीं
क्योंकि ऐसा करना मैं चाहता नहीं
नहीं.. नहीं.. नहीं..
नहीं.. नहीं.. नहीं..
हम तुमसे क्या ही लड़ेंगे
तुम जीत जाते हो
हम तुमसे क्या ही लड़ेंगे
तुम जीत जाते हो
हम तुमसे क्या ही लड़ेंगे
तुम जीत जाते हो
हम तुमसे क्या ही लड़ेंगे