इस जहाँ में तू मेरी ख़ातिर है
लग रहा है अब क्यूँ ऐसे, वो हो
एक कमी है तेरी ही जीने में
लग रहा है अब क्यूँ ऐसे, वो हो
एक कमी है तेरी ही जीने में
ये ख़याल आया है कैसे?
(कैसे? कैसे?)
तू जो चले, चलूँ
तू जो रुके, रुकूँ
ये हो रहा है क्यूँ
ये सिलसिला बता हुआ है कैसे
कर ले मेरा तू यक़ीं, ये सच है
हर खुशी मेरी है तुझ से वो हो
तू नहीं तो पास मेरे क्या है
दूर तू होना ना मुझसे
(मुझसे, मुझसे)
मेरी नज़र में तू
रहगुज़र में तू
शाम-ओ-सहर में तू
तुझे जुदा भला करूँ तो कैसे
हो सके तो ये बता
लग रहा है अब क्यूँ ऐसे
जो भी अब तक है जिया
बेवजह सा था वो जैसे
दे-दे दिल नज़राना, हो-हो-हो
मेरी तू बन जाना, हो-हो-हो
दूर तू ना जाना, हो-हो
सुन ले मेरी ये इल्तिजा, हो-हो
अब तू मुझ से जुड़ गया है ऐसे
सीने से धड़कन हो जैसे वो हो
एक कमी है तेरी ही जीने में
ये ख़याल आया है कैसे
(कैसे? कैसे?)
तू जो चले, चलूँ
तू जो रुके, रुकूँ
ये हो रहा है क्यूँ
ये सिलसिला बता हुआ है कैसे..