ये मुनासिब होगा हमको थाम लो के
हम भी चांद ढूंढने लगे हैं बादलों में
हम भी चांद ढूंढने लगे हैं बादलों में
नाम शामिल हो चूका है
अपने पागलों में
मतलबी इस दुनिया से
किनारे कर लूं
नाम तेरे सारी की सारी
बहारें कर दूं
बस चले तो तेरे हाथ में
सितारे रख दूं
हो हो हो हो..
शाम का रंग क्यों
तेरे रंग में मिल रहा है
दिल मेरा तेरे संग
बैठ कर क्यों खिल रहा है
है कोई जवाब
ओ मेरे जनाब
है कोई जवाब
इस बात का
आपके अपने ही हैं हमको जानिये तो
इस शरम के लहज़े को पहचानिये तो
बात बन जायेगी बात मनिये तो
क्या है कुछ नहीं
ये चार दिन की जिंदगानी
तारों के उसके फेर की ये करिश्माई
ना कभी भी मिटने वाली लिख दें कहानी
आपकी आंखों में जो लिखा
मैं वो पढ़ रहा हूं
बात वो होठों पर कब आएगी
इंतज़ार कर रहा हूँ
है कोई जवाब
ओ मेरे जनाब
है कोई जवाब
इस बात का
बुनते रहे
या ना बुने ये ख्वाब
है कोई जवाब
इस बात का