झूठी मुठी मितवा आवन बोले
भादो बोले कभी सावन बोले
झूठी मुठी मितवा आवन बोले
भादो बोले कभी सावन बोले
भादो बोले कभी सावन बोले
झूठी मुठी मितवा आवन बोले
भादो बोले कभी सावन बोले
बादलों पे चलने का चाहूँ पिया
बादलों पे चलने का चाहूँ पिया
आओ मेरा झूलना झुलाओं पिया
बन बन पपीहा पीहु बोले
झूठी मुठी मितवा आवन बोले
भादो बोले कभी सावन बोले
रोग ये कैसा लगा मोहे
आरसी उठाऊं देखूं तोहे
मन चंचल मोसे छल ना करे
बांवरी बोले कभी पगली कहे
बांवरी बोले कभी पगली कहे
कारी तोरी अखियाँ याद करूँ
आरसी में बार-बार काजर भरूं
मन मितवा काहे पीहू बोले
झूठी मुठी मितवा आवन बोले
भादो बोले कभी सावन बोले
झूठी मुठी मितवा आवन बोले
भादो बोले कभी सावन बोले