कि कुछ भी ना माँगूँ कभी मैं
जो तुम मेरे हो
ऐसा हो क्यूँ?
कि लगता है हासिल सभी हैं
जो तुम मेरे हो
जो तुम मेरे हो
तो मैं कुछ नहीं माँगूँ
दुनिया से
और तुम हो ही नहीं
तो मैं जीना नहीं चाहूं
दुनिया में
और नज़रों में मेरे
एक जहाँ है
जहां तू और मैं
अब साथ हैं
और वहाँ कोई नहीं
तू और मैं ही हैं
और आओगे ऐसे आओगे
तेरी मेरी क्या ये राहें
यूँ जुड़ी हैं
और राहों में ही
जो तुम आए कभी
हम तो प्यार से ही
मर जाएंगे
और आओगे ऐसे आओगे
तेरी मेरी अब ये राहें
यूँ जुड़ी हैं
और राहों में ही
जो तुम आए नहीं
हम तो फिर भी
तुम्हें ही चाहेंगे
जो तुम मेरे हो
तो मैं कुछ नहीं माँगूँ
दुनिया से
पूछे ये तू
कि तुझमें मैं क्या देखता हूँ?
जब चारों तरफ
आज कितने ही सारे नज़ारे हैं
जाने न तू
खुद को यूँ न जाने क्यूँ?
नज़रों से मेरी यहाँ
देखो ना खुद को ज़रा
देखो ना देखो ना ज़ुल्फ़ों से
कैसे ज़ुल्फ़ों से
तेरी छुपती प्यारी प्यारी सी
मुस्कान है
और नज़रें झुकी
और नज़रें उठी
तो मैं क्या ही करूँ?
बर्बाद मैं
तेरे होंठों को
तेरे होंठों को
जिनसे रखती मेरे
प्यारे प्यारे नाम है
और दिल का तेरे
और दिल का तेरे
अब मैं क्या ही कहूँ?
क्या बात है
और हाँ देखो यहाँ
कैसे आई 2 दिलों की
ये बारात है
पर क्या खुला आसमान
या फिर लाई यहाँ ज़ोरों से
बरसात है?
चाहे हो छाए भी बादल तो
चाहे फिर भी तुम्हें
क्या पता तुमको?
माँगूँ ना कुछ और जो
तुम मेरे हो
हाँ हाँ हाँ