पलट के बार बार वो
ख़ुदा जाने क्यों तुझे
देखने लगता है
सच बोलूं ईमान से
ख़बर है आसमान से
हैरत में चाँद भी
तुझको तकता है
के कोई इतना खूबसूरत
कोई इतना खूबसूरत
कोई इतना खूबसूरत
कैसे हो सकता है
के कोई इतना खूबसूरत
कोई इतना खूबसूरत
कोई इतना खूबसूरत
कैसे हो सकता है
खूबसूरती पर तेरी
खुदको मैंने क़ुर्बान किया
मुस्कुरा के देखा तुने
दीवाने पर एहसान किया
खूबसूरती पर तेरी
खुदको मैंने क़ुर्बान किया
मुस्कुरा के देखा तुने
दीवाने पर एहसान किया
धूप भी तेरे रूप के
सोनें पे क़ुर्बान हुई है
तेरी रंगत पे खुद
होली की रुत हैरान हुई है
तुझको चलते देखा तो
हिरनों ने सीखा चलना
तुझे ही सुनके कोयल
को सुर की पहचान हुई है
तुझसे दिल लगाए जो
उर्दू ना भी आये तो
शख़्स वो शायरी करने लगता है
के कोई इतना खूबसूरत
कोई इतना खूबसूरत
कोई इतना खूबसूरत
कैसे हो सकता है
कोई इतना खूबसूरत
कोई इतना खूबसूरत
कोई इतना खूबसूरत
कैसे हो सकता है
खूबसूरती पर तेरी
खुदको मैंने क़ुर्बान किया
मुस्कुरा के देखा तुने
दीवाने पर एहसान किया
खूबसूरती पर तेरी
खुदको मैंने क़ुर्बान किया
मुस्कुरा के देखा तुने
दीवाने पर एहसान किया
खूबसूरती पर तेरी
खुदको मैंने क़ुर्बान किया
मुस्कुरा के देखा तुने
दीवाने पर एहसान किया
कोई इतना
कोई इतना
कोई इतना
कोई इतना
कोई इतना
खूबसूरत कैसे हो सकता है