किसी रोज Kisi Roz Lyrics in Hindi – Auron Mein Kahan Dum Tha

किसी रोज, किसी रोज…

किसी रोज बरस जल-थल कर दे
ना और सता ओ साहिब जी

मैं युगों-युगों की तृष्णा हूँ
तू मेरी घटा ओ साहिब जी

मैं युगों-युगों की तृष्णा हूँ
तू मेरी घटा ओ साहिब जी

किसी रोज बरस जल-थल कर दे
ना और सता ओ साहिब जी

पत्थर-जग में कांच के लम्हे
कैसे सहेजूँ समझ न आए

तेरे मेरे बीच में जो है
ज्ञानी जग ये जान न पाए

तन में तेरी छूआँ तलाशूँ
मन में तेरे झप पिया

भाप के जैसे पल उड़ जाएँ
प्रीत को है श्राप पिया

कैसे रोकूँ जल अंजुरी में
भेद बता ओ साहिब जी

किसी रोज किसी रोज…

किसी रोज बरस जल-थल कर दे
ना और सता ओ साहिब जी

मैं युगों-युगों की तृष्णा हूँ

तू मेरी घटा ओ साहिब जी

किसी रोज बरस जल-थल कर दे
ना और सता ओ साहिब जी

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