कोई आयत याद नहीं मुझको
तेरे नाम नगमा काफी है
सौ जन्नत क्यूँ करवाये ना
तेरी रूह में रहलू काफी है
तेरे नाम नगमा काफी है
सौ जन्नत क्यूँ करवाये ना
तेरी रूह में रहलू काफी है
माना इश्क की सकलो सूरत नहीं
तू खुद इसका फरियादी है
तेरे इश्क के रंग रंगा बैठी
मैं अपना रंग गवा के
मेरे सारा कुछ मैं लुटा बैठी
तेरा पागलपन मैं कमा के
दुनिया की गर्ज ही नहीं मुझको
तू बना दे बैरागन काफी है
नहीं कोई जरूरत सांसों की
ना रूह की है ना जान की
मेरा यार तोह सबसे बेहतर है
क्या सुध लेनी है जहाँ की
नहीं कोई जरूरत सांसों की
ना रूह की है ना जान की
मेरा यार तोह सबसे बेहतर है
क्या सुध लेनी है जहाँ की
ना कोई गले भाये मुझको
बस तेरा आँगन काफी है
कोई आयत याद नहीं मुझको
तेरे नाम नगमा काफी है