तुम्हें आज भी ढूंढती है
सुनो जरा
ये सारे ही मंज़र तेरे बारे
में पूछते हैं
सुनो जरा
बेताब दरिया में होने लगा हूं
तुम आ जाओ ना
ये बारिश की बूंदे तुम्हें आज भी
ढूंढती है
सुनो जरा
मेरे हिस्से आई गम की जो ये मंजिल
मंजूर मुझको नहीं
जा चाहे अब भी दिल ये नजदीकियां तेरी
लौटा दे पल वो मेरे
हो.. हो…
बे सांसें बे धड़कन हो के भला कोई
किस तरह जिंदा रहे
हो ता जुदा होना क्यों लाज़मी सा
कोई तो मुझसे कहे
उलझी सी उलझन है
पागल सा ये मन है
दिन रात तेरे बिना
सुलझ दो आके
मेरी सारी उलझन
इल्तिजा सुन लो ना
जीत लूं मैं फिर से तुझे
एक मौका दे दो मुझे
ये बारिश की बूंदें तुम्हें
आज भी ढूंढती है
सुनो ज़रा
ये सारे ही मंज़र तेरे बारे
में पूछता हूं सुनो जरा
बेताब दरिया में होने लगा हूं
तुम आ जाओ ना
ये बारिश की बूंदें तुम्हें
आज भी ढूंढती हैं सुनो जरा
मेरे साथ आई गम की जो ये मंजिल
मंजूर मुझको नहीं
जा चाहे अब भी दिल ये नज़रियाँ तेरी
लौटा दे पल वो मेरे
हो… हो… हो…