हो सिरजनहार
जग के पालनहार
तोहरे बिन ये जीवन यात्रा
मोहे मझधार लगे
जग के पालनहार
तोहरे बिन ये जीवन यात्रा
मोहे मझधार लगे
ओ अपरंपार
दुखियों के सरकार
थाम जो बढ़ के पतवार तू
ये नैया पार लगे
ये नैया पार लगे
खड़ा हूँ दर पे
तू कोरी चुनरिया में थोड़ी सी लाली भर दे
दुहाई है तुझे
तू सारी अमावसों को मेरी दिवाली कर दे
जनम से में एक अवगुण का पुतला
तू मेरे सब दोष गुण में बदल दे
माथे पे मंडरा रही है आपदाएँ जो भी हर ले
पुकारूँ हरि ओम
हरि ओम, हरि ओम सुन ले
पुकारूँ हरि ओम
हरि ओम, हरि ओम सुन ले
पुकारूँ हरि ओम
पुकारूँ हरि ओम
हरि ओम.. हरि ओम..
तेरी कथनी कर्म कर
बेकार फल की चिंता है
मोह माया है ये जग
फिर क्यूँ अशर्फी गिनता है
सारा जब खेल तूने रचाया
उपाय तू ही जीतने का सरल दे
माथे पे मंडरा रही है आपदाएँ जो भी हर ले
पुकारूँ हरि ओम
हरि ओम, हरि ओम सुन ले
पुकारूँ हरि ओम
हरि ओम, हरि ओम सुन ले
पुकारूँ हरि ओम
पुकारूँ हरि ओम
हरि ओम.. हरि ओम..