रात अकेली थी तो बात निकल गई
तन्हा शहर में वो तन्हा सी मिल गई
मैंने उससे पूछा
हम पहले भी मिले हैं कहीं क्या
तन्हा शहर में वो तन्हा सी मिल गई
मैंने उससे पूछा
हम पहले भी मिले हैं कहीं क्या
उसकी नजर झुकी चाल बदल गई
जरा सी करीब आई और संभल गई
हौले से जो बोली मेरी जान बहाल गई,
हां हां हम मिले हैं
सौ सौ दफा
मैं धूल हूं
तू कारवां
इक दूसरे में हम
यूं लापता
मैं धूल हूं
तू कारवां