रूह जगा दूँ
तुझे सुबह दिखा दूँ
फिर तेरे घाव सहलाके अब
मैं सुला दूँ
तुझे सुबह दिखा दूँ
फिर तेरे घाव सहलाके अब
मैं सुला दूँ
आंसूं को
आंखों में जो तू छुपाए
तुझको अगोश में मैं लेके
धून सुना दूँ
ढूंढने पर भी अगर
आऊं ना मैं जो नज़र
तू डूब ही जाए
ग़म के सारे बादलों
का रुका सा बांध तेरा
टूट ही जाए
ज़ख्मों पे मैं
तेरे मरहम लगा दूँ
हुई ये पलकें जो भारी तेरी
मैं भुला दूँ
रूह जगा दूँ
आ फिर सुबह दिखा दूँ
बाहों में भर के
आ फिर वही धून
गुनगुना दूँ
मायूषी में जब तेरे
दिल में हो अंधेरा
मैं आ जाऊँगा
ढूंढ के तेरे लिए
चाँद का सुनहरा
मैं ले आऊँगा
घबराओ ना जाओ ना
जो बिखरने लगे तेरा जहाँ
रह जाऊँगा
और सवार दूँगा तेरा आशियाँ
घबराओ ना जाओ ना
अंधेरों में खो जाऊँगा
अंधेरों से रोशनी की और तुमको ही ले जाना
तुझको अगोश में मैं लेके
धून सुना दूँ
घबराओ ना
आओ ना