शायद तुम्हें मैं चाहाता हूँ
कैसा लगा तुम्हें यें सुनके मुझे बता
क्या तेरे मन मैं हैं कोई और
या तेरे दिल मैं ना है बची कोई जगह
कैसा लगा तुम्हें यें सुनके मुझे बता
क्या तेरे मन मैं हैं कोई और
या तेरे दिल मैं ना है बची कोई जगह
तेरे से मैं चाहता ना सब कुछ
देना भी तो हैं ना मुझको अब कुछ
बस इस शाम के लिए
सिर्फ सच बता मुझे
बोलो ना मुझे वो वाली बातें
जो ज़हन से ज़ुबान तक ना आए
जो भी सजा तू देना चाहे
आज बस सच बता मुझे
शायद तुम्हें मैं चाहती हूँ
कैसे सब जानते है और तुमको ना है पता
हो तुम किसी के ना हो ना
दिल आधा है टूटा या पूरा सा बिखर गया
आखरी ये प्यार हो ना हो पर
भरोसा मुझे करना है आज तुम पर
बस इस रात के लिए
सिर्फ सच दिखा मुझे
छुपाया जो वो हिस्सा तुमने सबसे
बुला रहा मुझे है वो ही कब से
जो भी ज़माना कल कहे
आज बस सच बता मुझे
आज बस सच बता मुझे
आज बस सच बता मुझे