दुल्हन कोई सजनी बनी है आज सजना दी
बजादी शहनाईयां ते कुदपेयो वजदा ए
के बदली है किस्मत आज इस अंगना दी
उड़ती पतंग जैसी आंखें टकरा गई
चुनरी का रंग मेरे दिल पे लगा गई
नखरे दिखाये मुझे ऐसे तूने वाखरे
झपके बिना ही आंखें तकदा रहा
जपदा तेरा नाम साहिबा
जपदा तेरा नाम साहिबा
मिर्जा सुबह-ओ-शाम
तू यूं मेरी साहिबा, नी साहिबा
मेरी साहिबा, साहिबा, साहिबा
करता है काम क्या तू
तेनु लव सोनिए
लट्टू है खामक्खा तू
हद तक सोनिए
कुडियां बथेरियां है
तेरे वर्गी नही
पिटके मानेगा क्या
तेरा हक सोनिए
जोड़ी जमेगी अपनी
किस एंगल से
करनी है मैंगनी
मेरी संडल से
माही की तू ही सोनी
ख्वाबों में भी नही होनी
तेरे हाथ नही आऊनी मैं
कब तक सोनिए
दिन की दोपहरी में तारे तू गिना गई
सपने सिया के मेरी नींद्रा चुरा गई
नखरे दिखाये मुझे ऐसे तूने वाखरे
झपके बिना ही आंखें तकदा रहा
ऐनवेयी ना मार गेड़ीयां
ऐनवेयी ना मार गेड़ीयां
होगा तू मिर्जा
नहीं मैं तेरी साहिबा, वे साहिबा
तेरी साहिबा, साहिबा, साहिबा
बधियां जी सब नु, आई है रुत शगना दी
दुल्हन कोई सजनी बनी है आज सजना दी
बजादी शहनाईयां ते कुदपेयो वजदा ए
के बदली है किस्मत आज इस अंगना दी