जहाँ को मैं भुला दूँ
हर राह मेरी तुझ पे रुके
दिल से सजदा यहीं मैं करूँ
तुझ में ही मिट जाना है मुझे
तुझ जन्नत बना लूँ
शिद्दत से माँगी दुआ हो तुम
काफ़िर इस दिल की पनाह बना लूँ
जाए ना वो आदत कभी मेरी
तुझको मैं वो जीत बना लूँ
तुझ में ही मिट जाना है मुझे
तुझ जन्नत बना लूँ
तेरे इश्क में है अब मेरी रिहाई
तुझ में ही है अब मेरी फ़िदाई
तेरे इश्क में है अब मेरी रिहाई
तुझ में ही है अब मेरी फ़िदाई
टूट न जाए धागा कभी
तुझ रेशम बना लूं
तुझ में ही मिट जाना है मुझे
तुझ जन्नत बना लूं
अधूरी थी लिखी किताबें वो
मिल गई उस पर इश्क की वफ़ाई
अधूरी थी लिखी किताबें वो
मिल गई उस पर इश्क की वफ़ाई
अपने वश में हो अगर
वक़्त को भी मैं कैद कर लूं
तुझ में ही मिट जाना है मुझे
तुझ जन्नत बना लूं
तुझको बनाकर अपना खुदा
जहाँ को मैं भुला दूँ
हर राह मेरी तुझ पे रुके
दिल से सजदा यहीं मैं करूँ
तुझ में ही मिट जाना है मुझे
तुझ जन्नत बना लूं
शिद्दत से माँगी दुआ हो तुम
काफ़िर इस दिल की पनाह बना लूं
जाए ना वो आदत कभी मेरी
तुझको मैं वो जीत बना लूं
तुझ में ही मिट जाना है मुझे
तुझ जन्नत बना लूं