जान गया आज मैं तुम्हें शिव महादेवा
खुल गई है आंखें अब मेरी शिव महादेवा
जान गया आज मैं तुम्हें शिव महादेवा
आज मेरे मन की सारी दुविधाएं दूर हुई
अब ये जाना आज तक ये सांसे मेरी व्यर्थ गई
जीतेजीते थक गया मैं तुम्हें नकार कर
निज कृपा की भस्म को मल दो मेरी देह पर
मैं कर्महीन फिर भी तुमको पा गया
शिवा शिवा शंकरा शंभु शिवा शंकर
हर हरा हर हरा भीड़ भंजना
लगे सारे झरने ही अभिषेक करे तेरा
पेड़ों की ये डालियां त्रिशूल सी लगे
मेघ है माथे त्रिपुंज से विश्व ये सारा शिवमय लगे
जादू तुम्हारा है चारों दिशाओं में
सब में उजाला है चंद्र कलाओं से
पूजा और भक्ति क्या है कुछ ना जानू मैं
अब कभी ना छूटे यूं हाथ थाम लो मेरा
बस तेरी कृपा की छांव में रहूं सदा
हर घड़ी मेरे सर पे शंभू हाथ हो तेरा
शिवा शिवा शंकरा शंभु शिवा शंकर
हर हरा हर हरा भीड़ भंजना
क्या मैं तुझे नहला दूं बच्चे की तरह
क्या मैं श्रृंगार करूं फूलों से तेरा
अपने ही घर के बच्चों की तरह
तेरे संग खेलूं होके मगन
देखूं मैं स्वादिष्ट ये मां से लाया हूं ओ शिवैया
बोलो तो मीठा शहद तुम्हें दे दूं
बस यूं ही उम्र भर तुम्हें दुलारता रहूं
ग्रीष्म शीत वर्षा में कैसे तुम रहे भला
इस कठिन परिस्थिति में कैसे तुम जिए भला
अब रक्षक हूं मित्र भी हूं साया भी तेरा
शिवा शिवा शंकरा शंभु शिवा शंकर
हर हरा हर हरा भीड़ भंजना
शिवा पहले मिल जाते मुझे तो क्या बिगड़ता
बोलो क्या ठीक है ये क्या थी विवशता
अब तो ना कभी छोडूंगा तुम्हें
रम्यता क्षमा कर दो तुम मुझे
धन्य हूं जो तूने मुझ पे दया की
छाया मिली मुझे तेरी जटा की
चाहे मुझ पे जितना भी अब क्रोध तुम करो
चाहे अब त्रिशूल से भेद डालो तुम मुझे
चाहे अपने सर्पों डसवा दो तुम मुझे
छोड़ू मैं तो नाम बदल देना तुम मेरा
शिवा शिवा शंकरा शंभु शिवा शंकर
हर हरा हर हरा भीड़ भंजना
हर हरा शंकरा शिव शिव शंकरा
शंकरा शंकरा शिव शिव शंकरा
हर हरा शंकरा शिव शिव शंकरा
शंकरा शंकरा शिव शिव शंकरा
हर हरा शंकरा शिव शिव शंकरा
शंकरा शंकरा शिव शिव शंकरा