सिलसिला Silsila Lyrics in Hindi – Arijit Singh

तेरी मेरी मिली रहे अनजाने में
तक़दीर ये क्यों लिखी खुद रब जाने

जो मिला है लगता है
धड़कन में है घुला
अब शायद सांसों में
शुरू होने को है चला
ये सिलसिला

तारों तले बातों का
उजली हुई रातों का
होने को है चला
ये सिलसिला

ताज़ी बुनी यादों का
दो ख्वाबों का सिलसिला

धागों सा उलझा ये फ़साना
आहिस्ता सुलझाना तुम फिलहाल
सिलने को है एक ताना-बाना
होने दो इस दिल को इस्तेमाल

नज़रों के शीशों में
चेहरा जो है खिला
अब शायद रूहों में
शुरू होने को है चला
ये सिलसिला

तारों तले बातों का
उजली हुई रातों का
होने को है चला
ये सिलसिला

अंबर के जैसा बेकरार
बेवकूफ़ सिलसिला

Leave a Comment