ज़िंदगी के दो रास्ते हैं
पहले पे तू, दूसरे पे हम
जो मैं नहीं आ सकता वहाँ
तू आके यहाँ कर दे बात खत्म
कंधों पे दो बस्ते हैं
पहले में ग़म, दूसरे में रकम
दोनों ही भरे पड़े
तू बता कौनसा उठाके तू कह देगी
“मेरे सनम”
मेरे सनम, वक्त है कम
दो मारे शो, खोका रकम
ज़िंदगी है तेज़, कांड-कर्म
दोनों ही गलत, क्या हिसाब तू मुझसे कराएगी
मैं कहता रहा, कोई ना मिला
जो समझे दिल में है क्या दर्द छुपा
मर्ज़ पता लग जाएगा
तो दवा अपने आप मिल जाएगी
तू सताएगी और रुलाएगी
ऐसी जीत भी क्या ही पाएगी
ना बताएगी जब हम पूछेंगे
क्यों रिश्ते छुड़ा के
ये मन मेरा भागे
तुम आके कभी गले से लग जाओ ना
सर पे मेरे हाथ रख जाओ ना
कि ज़िंदगी खफ़ा है
तो टूटे हम सारे
तुम आके कभी बात कर जाओ ना
दिन में मेरी रात कर जाओ ना
मैं रोता तो वो हँसते हैं
लहज़ा है सख्त ना आ रही शर्म
मैंने पास से अपनों को देखा तो सब थे पराए
ग़ालिब देख के आ गई शर्म
आँखें भी बंद कर सकते हैं
पर क्यों करें हम जो नहीं ये भरम
सच और होता दिलकश जब
नई ज़िंदगी लेके चल पड़ते तेरे संग
सारे लेके तेरे ग़म
मैं हवा में उड़ा देता सारे तेरे रंग
मैं पैसों की कश्ती बनाके डुबा देता सब
और हटा देता जो ना हो पसंद
क्यों रिश्ते छुड़ा के
ये मन मेरा भागे
तुम आके कभी गले से लग जाओ ना
सर पे मेरे हाथ रख जाओ ना
कि ज़िंदगी खफ़ा है
तो टूटे हम सारे
तुम आके कभी बात कर जाओ ना
दिन में मेरी रात कर जाओ ना