रोज़ रोज़ Roz Roz Lyrics in Hindi – The Yellow Diary
कभी कभी लागे रहा अनसुना जो भी मन में लागे कहा अनकहा कभी कभी लागे रहा अनसुना जो भी मन में लागे कहा अनकहा किनारे, किनारे पे रह गयी नइया रे सवालों भरे हो ये सारे नज़ारे रोज़ रोज़ आते हो आंखें क्यों चुराते हो है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो रोज़ … Read more