तस्करी Taskari Lyrics in Hindi – Ustad Rashid Khan, Jyotica Tangri

खाली खाली ख़ाबों के खांचे तेरे बिन
झूठी झूठी रातें सारी झाँसे मेरे दिन
बादल जब भी छाये आँखें भरी, आँखें भरी

तस्करी तेरे सपनों की
सूनी रातों में करती हूँ मैं
जनवरी तेरे जाड़ों की
हर मई याद करती हूँ मैं

तेरे मेरे बीच जो रहा ना रहा रह जाने दे
है अनकही का जो असर कहा है कह जाने में
रहूँ मैं तो तेरा पर रहूँ अजनबी

तस्करी तेरे सपनों की
सूनी रातों में करती हूँ मैं
जनवरी तेरे जाड़ों की
हर मई याद करती हूँ मैं

माना जुदा जुदा रास्तों पे चला
आधा थोड़ा पूरा जितना भी तू मिला
जीने को काफी है ये कमी
रह रहा मैं कतारों में
जला जला हूँ चिरागों में
मैंने गली की बारातों में
ढूंढा तुझे फिर भी ना पाया
मुखबरी तेरी गलियों की
बस ख़यालों में करता हूँ मैं

तस्करी तेरे सपनों की
सूनी रातों में करती हूँ मैं

तेरे जैसा हुआ जब से तू है ख़फ़ा
कितनी दफ़ा पूछा
खुदसे अपना पता
पहचान मिली है नई

वो बैठे रहना घाटों पे
ना कुछ कहना घंटो में
बिसरी मुलाक़ातों से
आगे मैं तो कभी बढ़ ना पाया

तू बरी करदे मुझे अब
देती खुदको सजा हूँ मैं

तस्करी तेरे सपनों की
सूनी रातों में करती हूँ मैं
जनवरी तेरे जाड़ों की
हर मई याद करती हूँ मैं

तेरे मेरे बीच जो रहा ना रहा रह जाने दे
है अनकही का जो असर कहा है कह जाने में
रहूँ मैं तो तेरा पर रहूँ अजनबी

तस्करी तेरे सपनों की
सूनी रातों में करती हूँ मैं
जनवरी तेरे जाड़ों की
हर मई याद करती हूँ मैं

खाली खाली ख़ाबों के खांचे तेरे बिन
झूठी झूठी रातें सारी झाँसे मेरे दिन
बादल जब भी छाये आँखें भरी, आँखें भरी

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