बिन मौसम बरसात हुई तो
तुम याद आये तुम याद आये
गुज़रा दिन और रात हुई जो
तुम याद आये तुम याद आये
तुम याद आये तुम याद आये
गुज़रा दिन और रात हुई जो
तुम याद आये तुम याद आये
था खुशनुमा जो वक़्त गुज़ारा
देखा जिन्होंने इश्क़ हमारा
उन सब से मुलाक़ात हुई तो
तुम याद आये तुम याद आये
बिन मौसम बरसात हुई तो
तुम याद आये तुम याद आये
कोई भी तेरा ज़िक्र करे तो
खो जाते हैं ख़यालों में हम
लोगों को लगते हैं सुलझे हुए
पर उलझे हैं तेरे सवालों में हम
सोचा था कि कर लेंगे किनारा
इतना ही था बस साथ हमारा
इश्क़ में फिर शुरुआत हुई जो
तुम याद आये तुम याद आये
बिन मौसम बरसात हुई तो
तुम याद आये तुम याद आये
गुज़रा दिन और रात हुई जो
तुम याद आये तुम याद आये