तुम्हारी चुप और हमारा लहजा
तुम्हारी चुप और हमारा लहजा
कभी, मिलेंगे तो बात होगी
तुम्हारी चुप और हमारा लहजा
कभी, मिलेंगे तो बात होगी
हमारी आँखें तुम्हारा चेहरा
कभी मिलेंगे तो बात होगी
तुम्हारी चुप और हमारा लहजा
कभी मिलेंगे तो बात होगी
कहेंगे तुमसे के दिल की बातें
छुपा के, रखना बड़ा गुनाह है
तुमसे मिलकर तुम्हें न मिलना
कसम खुदा की, बड़ी सज़ा है
तुम्हारे चेहरे के कुफ़ल नज़रों
से खुल, न पाए तो क्या करें हम
पैरों के रख ली है
दिल में आँखें
वही से, अब तुमको देखना है
तुम्हारे जल्मे पे सर का झुकना
कभी मिलेंगे तो बात होगी
मोहब्बतें जब लिखा करोगे
हमारा नामों में नाम होगा
कभी जो धड़केगा दिल तुम्हारा
हमारे दिल का सलाम होगा
कभी जो तारों से दोस्ती हो
तो जुगनूओं से भी मिलते रहना
हमारे लफ़्ज़ों से बात बन कर
लिखो के जब तुम कलाम होगा
उदास लम्हें में हँसके कहना
कभी मिलेंगे तो बात होगी