है साजिशें ये तेरी
या है मेरा नसीब
आने लगे ऐसे हम
कैसे इतने करीब
या है मेरा नसीब
आने लगे ऐसे हम
कैसे इतने करीब
कल तक तो लगता था तू अजनबी
फिर क्यू अपना लागे जानू मैं नही
वे ढोलना
है राज़ क्या ये खोलना
वे ढोलना
नैनो से अब तू बोलना
ये धूप जो प्यार की खिल रही
है ज़िंदगी, ज़िंदगी से मिल रही
हो बहने लगे है हम जहाँ
ख्वाबों का है वो आसमान
वे ढोलना
है दो जहाँ को जोड़ना
वे ढोलना
वादा कभी ना तोड़ना